नई दिल्ली. अयोध्या में राम मंदिर ट्रस्ट के लिए खरीदी गई जमीन मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. दो करोड़ रुपये में खरीदी गई जमीन को महज कुछ मिनटों बाद ही 18.5 करोड़ रुपये में ट्रस्ट ने खरीदी है, जिसे लेकर सपा, आम आदमी और कांग्रेस ने मोर्चा खोल रखा है.
श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (राम मंदिर) से संबंधित एक जमीन सौदे में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगने के बाद कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. हालांकि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सारे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. हालांकि अब जमीन के मालिक रहे सुल्तान अंसारी सामने आए हैं और उन्होंने इस डील की पूरी कहानी सुनाई है.
जाने क्या कहा सुल्तान अंसारी ने
- डील में कोई हेरा-फेरी नहीं हुई है.
- ये सच है कि दो बार रजिस्ट्री की गई थी.
- पहली रजिस्ट्री 2 करोड़ कीमत की थी जबकि दूसरी 18.5 करोड़ रुपये में ट्रस्ट के नाम की गई थी.
- यह डील 2 या 10 मिनट में नहीं हुई थी और इसमें सभी नियमों का पालन किया गया था.
- डील के बाद अभी तक उनकी चंपत राय से कोई बातचीत नहीं हुई है.
- सुल्तान अंसारी के मुताबिक साल 2011 में पहली बार एग्रीमेंट हुआ था.
- उस एग्रीमेंट में उनके पिता और हरीश कुमार पाठक जमीन के मालिक थे.
- बाद में जब 2021 में बैनामा हुआ तो रवि मोहन तिवारी को भी शामिल कर लिया गया था.
- दूसरा एग्रीमेंट साल 2014 का है.
- सुलतान अंसारी के मुताबिक 4 मार्च 2014 ट्रस्ट के माध्यम से हमसे चंपत राय ने उनसे इस जमीन को खरीदने के लिए संपर्क किया था.
- दूसरे एग्रीमेंट में ही 18.5 करोड़ रुपए में डील तय हुई थी और जिसे बाद में 17 करोड़ कर दिया गया था.
- चंपत राय ने कहा था कि बचा हुआ डेढ़ करोड़ रजिस्ट्री के बाद दे दिया जाएगा.
- जमीन का रेट 2011 से 2021 के बीच बदल गया है, जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं वो तथ्यहीन हैं.
- सुलतान अंसारी का ये भी दावा है कि साल 2011 में जब जमीन का एग्रीमेंट हुआ था तो ये सिर्फ 1 करोड़ रुपए का था.
- हमने 10 लाख रुपए पेशगी दी थी और 2014 में इस एग्रीमेंट का रिनुअल हुआ था.
- साल 2019 में इसकी कीमत 2 करोड़ हो चुकी थी और 50 लाख रुपए पेशगी में दिए गए थे.
- अब 2 लोगों के नाम पर हमारा बैनामा हुआ और 8.30 करोड़ पर हमारे खाते में आए और 8.30 करोड़ रुपये रवि मोहन के खाते में आए हैं.