नई दिल्ली। देश में महंगाई लगातार बढ़ रही है. पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती महंगाई का असर अब रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी जरूरी चीजों पर पड़ा है. कच्चे तेल और तैयार वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी का भी असर हो रहा है. थोक मूल्य पर आधारित महंगाई दर मई में 12.94% के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई. कच्चे तेल और मैन्युफैक्चर्ड सामानों की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है.
लो बेस इफैक्ट के चलते भी मई 2021 में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर तेजी से बढ़ी है. मई 2020 में इसका आंकड़ा (-) 3.37 फीसदी था. मई में लगातार पांचवां महीना रहा, जब थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित मुद्रास्फीति में बढ़त देखे को मिली. अप्रैल 2021 में भी थोक महंगाई दर दो अंकों में रही थी. अप्रैल में थोक मुद्रास्फीति 10.49 फीसद पर रही थी.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों में कहा गया है कि मासिक WPI पर आधारित महंगाई की सालाना दर मई 2021 में 12.94% पर रही. मई 2020 में थोक महंगाई दर (-) 3.37 फीसद पर रही थी. मई 2021 में उच्च महंगाई दर की मुख्य वजह लो बेस इफेक्ट के साथ क्रूड पेट्रोलियम, मिनरल ऑयल, पेट्रोल, डीजल, naphtha, furnace oil इत्यादि और मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स के मूल्य में तेजी से दर में वृद्धि दर्ज की गई.
मई 2021 में फ्यूल और पावर बास्केट में थोक महंगाई दर में 37.61 फीसद का उछाल दर्ज किया गया. अप्रैल में इन दोनों सेक्टर्स में मुद्रास्फीति 20.94 फीसद की तेजी दर्ज की गई. मई 2021 में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स में थोक महंगाई दर में 10.83 फीसद की बढ़त देखने को मिली.
बता दें कि आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में अपनी मौद्रिक नीति में ब्याज दरों को रिकॉर्ड निचले स्तर पर बरकरार रखा है. कहा कि वो वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए एक उदार नीति को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है.
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