नई दिल्ली। देशभर में कोरोना वायरस से मौत का तांडव देखने को मिला था. अब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है. जिसमें कहा है कि यदि किसी भी व्यक्ति की कोरोना से मौत अस्पताल के बाहर भी हुई है, तब भी उसे ‘कोविड डेथ’ ही माना जाएगा. इस नियम का पालन नहीं करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
दरअसल अस्पतालों में कोविड मरीजों की हुई मौत को ही कोविड से मौत माना जाता था. यहां तक कि घर पर आइसोलेशन में या अस्पताल की पार्किंग, गेट पर होने वाली मौतों को कोविड से मौत नहीं गिना जाता था. इस वजह से लाखों में हुई मृत्यु के आंकड़ों में विसंगतियां थीं.
केंद्र ने एक हलफनामे में यह भी कहा कि कोविड की वजह से हुई मौतों के लिए 4 लाख का मुआवजा नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि यह उन राज्यों पर एक असहनीय वित्तीय बोझ डालेगा, जो पहले से ही लॉकडाउन के मद्देनजर कम कर संग्रह और लॉकडाउन के कारण सुस्त अर्थव्यव्सथा में नकदी के संकट से जूझ रहे हैं.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना से हुई मौतों पर मुआवजे और प्रमाणन के लिए दायर एक याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था. इस याचिका में कहा गया है कि कोरोना पीड़ितों के मृत्यु प्रमाणपत्र में मौत के कारण में कोविड का जिक्र नहीं है, जिससे परिवारों को मुआवजा मिलना मुश्किल हो जाता है. इसे लेकर केंद्र को जारी नोटिस में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था, ‘मृत्यु प्रमाणपत्र में मौत की वजह से हार्ट फेल या फेंफड़े में समस्या लिखा गया है. क्या कोरोना पीड़ितों के मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने के लिए कोई एकसमान नीति या कोई गाइडलाइन है ?’
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