सदफ हामिद, भोपाल। यूनियन कार्बाइड में दफन जहरीले कचरे के नष्टीकरण के लिए जारी टेंडर का भोपाल गैस पीड़ित संगठन ने विरोध किया है। संगठन ने सरकार पर जहरीले कचरे का वजन कम आंकने का आरोप लगाया है। संगठन का कहना है कि सरकार ने ज़हरीले कचरे का वजन सिर्फ 337 मीट्रिक टन बताया है जबकि यूनियन कार्बाइड में 21 जगह लाखों टन ज़हरीला कचरा दफन है इसका कोई आकलन नहीं किया गया।

‘भोपाल ग्रुप फ़ॉर इन्फॉर्मेशन एन्ड एक्शन’ की सदस्य रचना ढींगरा का कहना है कि 32 एकड़ पर बने सोलर इवॉपोरेशन पोंड में 1977 से कारखाने का कचरा डाला जा रहा है। 1982 में तालाब की प्लास्टिक लिंनिग फटने से कचरे का जहर भूजल मे मिलना शुरू हो गया था। 337 MT टन का जहरीला कचरा जिसका टेंडर किया जा रहा है। वो पूरे कचरे का 5% भी नहीं है। उन्होंने कहा कि 1.7 लाख टन जहरीला कीचड़ तो तालाब में ही होगा। बिना वैज्ञानिक आकलन के कोई कचरा निष्पादन नहीं हो सकता है।

रचना ढींगरा ने यूनियन कार्बाइड की जमीन पर मेमोरियल बनाए जाने के प्रस्ताव पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि मेमोरियल बनाना इतना जरूरी क्यों है? गैस पीड़ितों को न ही सही इलाज मिल पा रहा है, ना पेंशन ना पुनर्वास है। जहरीले कचरे की सफाई नहीं, सही मुआवजा नहीं फिर भी सरकार 100 करोड का मेमोरियल जहरीली जमीन पर क्यो बनना चाहती है? पिछले 10 सालों से गैस पीड़ितों को रोजगार देने के लिए 100 करोड की राशि गैस राहत विभाग मे पड़ी है पर आज तक किसी गैस पीड़ित को रोजगार नहीं मिला है।

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