नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की कमान जस्टिस उमेश दत्तात्रेय साल्वी ने संभाल ली. बुधवार को जस्टिस साल्वी ने एनजीटी के कार्यवाहक अध्यक्ष के तौर पर कार्यभार संभाला. बता दें कि 19 दिसंबर मंगलवार को जस्टिस स्वतंत्र कुमार एनजीटी के अध्यक्ष पद से रिटायर हो गए थे. जस्टिस स्वतंत्र कुमार को दिल्ली में प्रदूषण और पर्यावरण से जुड़े कई अहम मुद्दों पर ऐतिहासिक फैसलों के लिए याद किया जाएगा. ऐसे में अब जस्टिस साल्वी से भी लोगों को बहुत उम्मीदें हैं.

देशी गायों के संरक्षण पर केंद्र को हलफनामा

इधर अपने पहले ही निर्देश में जस्टिस साल्वी ने देशी गायों के संरक्षण का मुद्दा उठाया है. उन्होंने केंद्र सरकार को हलफनामा दायर कर इस पर अपना रुख साफ करने के लिए कहा है. देश में देशी गायों की लुप्त होती नस्ल के बारे में अश्विनी कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस यूडी साल्वी की अध्यक्षता वाली पीठ ने ये निर्देश दिया.

पीठ ने कृषि मंत्रालय से देशी गायों के संरक्षण के बारे में राष्ट्रीय नीति तैयार करने के लिए राज्यों के साथ हुई बैठक का ब्योरा भी मांगा है. एनजीटी ने दूसरे पक्षकारों को भी 2 हफ्ते का समय दिया है और मामले से जुड़े सभी रिकॉर्ड पेश करने को कहा है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 1 फरवरी को होगी.

इससे पहले एनजीटी ने पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा की सरकारों से राष्ट्रीय नीति तैयार करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक में हिस्सा लेने के लिए कहा था. साथ ही पर्यावरण और कृषि मंत्रालय के पशुधन विभाग को राज्यों के साथ बैठक कर देशी गायों के संरक्षण संबंधी साझा नीति तैयार करने के निर्देश दिए थे.

बता दें कि याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार ने कहा है कि केरल में 2003 से 2012 के दौरान देशी गायों की संख्या में 80 प्रतिशत की गिरावट आई है. इसके बावजूद कृषि विश्वविद्यालयों में संकर नस्ल की गायों को बढ़ावा दिया जा रहा है, ऐसे में तो देशी गायें विलुप्त हो जाएंगी.

गौरतलब है कि सरकारी अधिसूचना के मुताबिक, जस्टिस साल्वी नए अध्यक्ष की नियुक्ति या अपनी सेवानिवृत्ति तक पद पर बने रहेंगे. उनका कार्यकाल 13 फरवरी 2018 तक है.