कोलकाता। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को संवैधानिक संकट की वजह से अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है. विधानसभा का सदस्य नहीं होने के साथ-साथ वर्तमान में कोरोना की वजह से उपचुनाव की संभावना शून्य देख उन्हें पद छोड़ना पड़ा है. यही संवैधानिक संकट पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी पर भारी पड़ सकता है.

त्रिवेन्द्र सिंह रावत के इस्तीफा देने के बाद तीरथ सिंह रावत ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर 10 मार्च 2021 को शपथ ली थी. उन्हे 10 सितंबर से पहले उन्हें विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य होना जरूरी था. लेकिन कोरोना की वजह से बदले हालात में चुनाव की संभावना नहीं होने की वजह से तीरथ सिंह रावत ने इस्तीफा दे दिया. अब यही हालत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी के लिए बनती नजर आ रही है.

कभी दाएं हाथ रहे शुवेंदु अधिकारी के हाथों नंदीग्राम विधानसभा का चुनाव ममता बैनर्जी हार चुकी हैं. लेकिन विधानसभा में टीएमसी को बहुमत होने की वजह से उन्होंने 4 मई को मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी तीसरी पारी की शुरुआत की. अब उन्हें 4 नवंबर तक विधानसभा में जीतकर पहुंचना जरूरी है. हालांकि, उनकी भवानीपुर की पुरानी सीट टीएमसी के विधायक ने छोड़ दी है, लेकिन नवंबर तक चुनाव नहीं हुआ तो ममता बैनर्जी को पद छोड़ना पड़ सकता है.

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बंगाल में नहीं है विधान परिषद

राज्यों में मुख्यमंत्री या मंत्री बनने के लिए विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य होना जरूरी है. बंगाल में विधान परिषद नहीं होने की वजह से ममता बैनर्जी के सामने भी तीरथ सिंह रावत की तरह संकट है. हालांकि, ममता बैनर्जी ने बंगाल विधानसभा में विधान परिषद का प्रस्ताव पास कराया है, लेकिन लोकसभा की मंजूरी के बगैर इसे क्रियान्वित करना संभव नहीं है. ऐसे में ममता बैनर्जी के लिए एक ही रास्ता बचता है कि भवानीपुर उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग पर दबाव बनाएं.