कोडरमा. अक्सर देखा जाता है कि बच्चे अपने घर वालों के खिलाफ कुछ बोलने से डरते हैं. लेकिन 17 साल कि एक किशोरी ने घरवालों के खिलाफ जाकर जो हिम्मत दिखाई है उसकी हर जगह जमकर तारीफ हो रही है. ये किशोरी झारखंड के कोडरमा की है, जिसने अपने घरवालों के एक फैसले पर उनके खिलाफ खड़ी हो गई है.

ये किशोरी पढ़-लिखकर कुछ करने की चाह रखती है, लेकिन घरवालों ने किशोरी की शादी तय कर दिया. लेकिन लड़की को शादी करना नामंजुर था. जिसके बाद किशोरी ने बारात आने से पहले दूल्हा पक्ष को फोन करके शादी करने से इनकार कर दिया. उसने कहा कि ‘मैं अभी नाबालिग हूं.’

यब पूरा मामला कोडरमा जिले के डोमचांच प्रखंड की मधुबन पंचायत का है. यहां की रहने वाली किशोरी राधा की उम्र महज 17 वर्ष है. राधा के माता-पिता ने 17 साल कि उम्र में ही उसकी शादी तय कर दी थी. उसकी बारात आने वाली थी, लेकिन राधा को शादी करना मंजूर नहीं था. राधा पढ़-लिखकर शिक्षिका बनना चाहती है, इसलिए वो इस शादी के खिलाफ थी.

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परिवार वालों ने राधा की शादी उसे बिना बताए तय कर दी थी. इस पर राधा ने अपने परिवार वालों को कम उम्र में शादी नहीं करने को लेकर काफी समझाया, मगर उसके परिवार वालों ने उसकी एक न सुनी और रिश्ते को आगे बढ़ा दिया. जिसके बाद राधा ने लड़के पक्ष वालों को खुद फोन किया और कहा कि अभी शादी के लायक उसकी उम्र नहीं है.

राधा ने कहा कि ‘मैं बाल विवाह नहीं कर सकती हूं और मुझे पढ़-लिखकर शिक्षिका बनना है.’ उसने शादी का विरोध किया, तो ये शादी टल गई. वहीं राधा की इस हिम्मत को लेकर उसकी खूब तारीफ हो रही है. राधा मधुबन पंचायत की रहने वाली है और राधा के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. राधा की तीन बहनें और दो भाई हैं.

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इस पूरे मामले की जानकारी जब कोडरमा उपायुक्त रमेश घोलप को मिली, तो वह राधा के घर मधुबन पंहुच गए. राधा द्वारा जिस जागरुकता के साथ अपने परिवार के फैसले का विरोध किया, उसके लिए राधा को प्रशस्ति पत्र, शॉल और किताब उपहार स्वरूप प्रदान की गई. जिसके बाद राधा को बाल विवाह रोकने के प्रेरणा स्वरूप जिले का ब्रांड अम्बेसडर भी बनाया जाएगा. इसके अलावा राधा को सुकन्या योजना से भी जोड़ा गया है, जिससे लड़की को पढ़ने-लिखने में मदद मिलेगी. उपायुक्त रमेश घोलप ने कहा कि राधा का यह कार्य दूसरे लड़कियों के लिए प्रेरणा दायक होगा.