प्रतीक चौहान. रायपुर. कोटा स्थित सुयश हॉस्पिटल में कोरोना मरीज को 43 हजार रुपए की कीमत का कैंसर में इस्तेमाल होने वाला एक इंजेक्शन कोरोना मरीज को लगा दिया, जिसके बाद अब सोशल मीडिया में हॉस्पिटल के खिलाफ अभियान छिड़ा हुआ है.
इसी बीच सुयश हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉक्टर विवेक केसरवानी ने अपना दर्द लल्लूराम डॉट कॉम से बयां किया है. उनका कहना है कि पूरी दुनिया में कोरोना के गंभीर मरीजों में बेवासीजुमेब इंजेक्शन का इस्तेमाल हुआ है.
अब चूंकि उक्त अस्पताल पर आरोप लगे है तो हमने डॉ केसरवानी की बातों में कितनी सच्चाई है ये जानने शहर के विभिन्न निजी अस्पतालों के डॉक्टरों को भी फोन लगाया.
एक डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि उक्त इंजेक्शन के रिजल्ट काफी अच्छे आएं है और उनके अस्पताल में भी कई गंभीर मरीजों में भी ये इंजेक्शन लगाया गया है. इसलिए सोशल मीडिया में फैल रही ऐसी भ्रांति गलत है और इससे डॉक्टरों की छवि पर असर पड़ता है.
वहीं एक अन्य बड़े अस्पताल के डॉक्टर ने भी नाम न छापने की शर्त पर कहा कि उक्त इंजेक्शन का इस्तेमाल जरूर कोरोना में कई अस्पतालों ने किए है. लेकिन चूंकि इसका किसी भी प्रकार का ट्रायल नहीं हुआ है. इसलिए वे इस इंजेक्शन के इस्तेमाल पर अपनी कोई भी प्रतिक्रिया नहीं देना चाहते. उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि उनके अस्पताल में भर्ती मरीजों में इसे नहीं लगाया गया है.
वहीं प्रदेश हॉस्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता का कहना है कि टॉलीजुमेएब पूरे देश में कम मात्रा में बनाई जाती है, कोरोना की दूसरी लहर में अचानक बढ़े मरीजों के कारण इसकी खपत कोरोनाकाल में बढ़ गई थी. यही कारण है कि कोरोना के गंभीर मरीजों में सेकेंड लाइन ऑफ ड्रग के रुप में उक्त इंजेक्शन बेवासीजुमेब का इस्तेमाल किया गया है. अलटरनेटिव मानकर इस्तेमाल किया गया है और इसके कई मरीजों में फायदें भी सामने आए है.
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