शब्बीर अहमद, भोपाल। पूरे देश में इस वक्त जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर बहस छिड़ी हुई है. मध्य प्रदेश में भी इस पर जमकर सियासत हो रही है. इस कानून को लेकर कांग्रेस विधायक एवं पूर्व संसदीय कार्यमंत्री गोविंद सिंह ने कहा कांग्रेस की सरकार आने पर जनसंख्या कानून लाया जाएगा. साथ ही अगर बीजेपी कानून लाती है तो, हम उसका समर्थन करेंगे.

पूर्व मंत्री गोविंद सिंह ने कहा कि अगर हम बीजेपी को कानून लाने के लिए कहेंगे तो वो और नहीं लाएगी. जनसंख्या कानून आम जनता हो या नेता सबके लिए एक सामान होना चाहिए. उन्होंने कहा, हमने कानून बनाया था, लेकिन बीजेपी ने उसे बदल दिया. हालांकि बीजेपी कानून लाएगी तो हम उसका समर्थन करेंगे.

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कांग्रेस का भी समर्थन, लेकिन…

वहीं इसके पहले पूर्व प्रोटेम्ट स्पीकर एवं बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने जनसंख्या कानून को लेकर सीएम शिवराज सिंह को पत्र भी लिखा है. इसके अलावा कांग्रेस विधायक एवं पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने भी कानून का समर्थन किया है. जब कि कांग्रेस के ही विधायक आरिफ मसूद इसके खिलाफ खड़ें नजर आ रहे हैं. हालांकि कानून को कांग्रेस का साथ मिल रहा है, लेकिन वो सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे है तो वहीं बीजेपी का कहना है कि इसे सियासत से न जोड़कर कांग्रेस देशहित देखे.

ये है प्रदेश में नेताओं के बच्चों का आंकड़ा

आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीट है. जिसमें से तीन सीटें विधायकों के निधन के बाद खाली हुई हैं. प्रदेश में बीजेपी के 40 फीसदी विधायकों 3 से लेकर 9 बच्चे हैं. 125 विधायकों में से 49 विधायक ऐसे हैं जिनके 3 से लेकर 9 बच्चे हैं. वहीं शिवराज कैबिनेट में शामिल 13 मंत्रियों के 3 से लेकर 6 बच्चे हैं. कांग्रेस के 95 विधायकों हैं. जिनमें 16 के तीन बच्चे हैं, 12 के चार, तीन के पांच बच्चे हैं. जबकि बीजेपी विधायक रामलल्लू वैश्य और कांग्रेस एमएलए वाल सिंह मैड़ा के 9 बच्चे हैं. बीजेपी विधायक केदार शुक्ला के 8 और मंत्री बिसाहूलाल सिंह के 6 बच्चे हैं.

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एमपी में कैसा है जनसंख्या कानून ?

मध्य प्रदेश में 26 जनवरी 2001 को जनसंख्या कंट्रोल के लिए एक कानून बनाया गया. यह कानून पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने जनसंख्या कंट्रोल के लिए कानून बनाया था. जिसमें दो से ज्यादा बच्चे होने पर सरकारी नहीं मिलेगी. इस कानून के मुताबिक सरकारी नौकरी के दौरान 2 से ज्यादा बच्चे होते हैं तो नौकरी से बर्खास्त किया जाएगा. दो से ज्यादा बच्चे होने पर पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक लगाया गया था. 2005 में शिवराज सरकार ने इसे पलटते हुए चुनाव लड़ने के रोक को हटा दिया था. सिर्फ सरकारी ने नौकरी में इस कानून को लागू रखा.

जानिए कैसे छिड़ा इस पर विवाद

गौरतलब है कि देश में सबसे पहले जनसंख्या नियंत्रण कानून असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने लागू करने की बात कही. जिसके बाद पूरे देश में भर में इस पर चर्चे और बहस छिड़ गई. इधर असम मुख्यमंत्री के ऐलान के बाद उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर नई जनसंख्या नीति का ऐलान कर दिया. इस जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट के मुताबिक 2 से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने तक पर रोक लगाने का प्रस्ताव है. ड्राफ्ट में दो बच्चे वाले अभिभावकों को बिजली-पानी पर टैक्स में छूट की सुविधा दी जाएगी. लखनऊ में CM योगी ने नई नीति के ऐलान के दौरान कहा कि बढ़ती आबादी विकास में बाधक होती है.

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