रायपुर। इजरायल के पेगासस (Pegasus) सॉफ्टवेयर के जरिए फोन टैपिंग की रिपोर्ट आने के बाद बवाल मचा हुआ है. इस मामले में अब छत्तीसगढ़ में सियासी भूचाल शुरू हो गया है. छत्तीसगढ़ के कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता RP सिंह ने पूर्वर्ती रमन सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. RP सिंह ने ट्वीट कर कहा कि 2017 में रमन सिंह सरकार ने इजरायल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस की सेवाएं लेने का प्रयास किया.

RP सिंह ने लगाए ये गंभीर आरोप

छत्तीसगढ कांग्रेस प्रवक्ता RP सिंह ने पेगासस सॉफ्टवेयर जासूसी प्रकरण को लेकर ट्वीट किया है. उन्होंने पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह पर बड़े आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि क्या आप जानते हैं सन 2017 में रमन सिंह सरकार ने इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस की सेवाएं लेने का प्रयास किया था.

इस दौरान आरपी सिंह ने कहा कि भारत में इन दिनों इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस का तत्कालीन रमन सिंह की सरकार ने 2017 में सेवा लेने का प्रयास की थी. NOS कंपनी के प्रतिनिधि यहां आए थे. उन्होंने जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस का प्रेजेंटेशन दिया था, लेकिन उसकी कीमत अत्याधिक होने के कारण ये सौदा पटा नहीं था.

कंपनी के अधिकारियों ने इसके लिए 60 करोड़ रुपये की मांग की थी. जो राज्य के बजट के हिसाब से बहुत ज्यादा था. जासूसी करना भारतीय जनता पार्टी की पुरानी आदत है. ये 2017 से चला आ रहा है. इसमें कुछ भी नया नहीं है. इससे संबंधित तमाम खबरें. 2019 में एक निजी अखबार ने खबर को प्रकाशित किया है.

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दरअसल, द वॉशिंगटन पोस्ट ने दुनियाभर के 16 अन्य मीडिया सहयोगियों के साथ मिलकर ‘द पेगासस प्रोजेक्ट’ नाम से जांच रिपोर्ट जारी की है. इस जांच रिपोर्ट में दावा किया गया है कि प्राइवेट इज़राइली सॉफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल फोन टैप करने में किया गया. इसमें दुनियाभर के 37 स्मार्टफोन को हैक करने में कामयाबी भी मिली. ये स्मार्टफोन बड़े पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, व्यापारी अधिकारी और दो ऐसी महिलाओं जो कि सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खसोगी की हत्या से जुड़ी थीं.

बता दें कि न्यूज़ वेबसाइट द वायर के मुताबिक भारत करीब 300 लोगों की जासूसी पेगासस के स्पाइवेयर के ज़रिए की गई, जिसमें 40 पत्रकार भी शामिल हैं. जिनके फोन हैक करने का दावा किया गया है. उनमें मंत्री से लेकर विपक्ष के नेता, पत्रकार, लीगल कम्युनिटी, कारोबारी, सरकारी अफसर, वैज्ञानिक और एक्टिविस्ट्स तक शामिल हैं. दावा है कि इन लोगों पर फोन के ज़रिए निगरानी रखी जा रही थी.

 

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