शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश में सरकार ने जांच एजेंसियाें को फ्री हैंड दे दिया है. प्रदेश में भ्रष्ट अफसरों की जांच के लिए लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू को विभाग से अनुमति नहीं लेनी होगी. हालांकि सरकार ने बीते 7 महीने पहले भ्रष्टाचार निवारण एक्ट में बदलाव कर जांच एजेसिंयों की ताकत छीन ली थी. जिसे पुन: वापस दे दी गई है.
इसे भी पढ़ें ः CM शिवराज ने सपरिवार की जंगल सफारी, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में किए बाघों के दीदार
वहीं लोकायुक्त जस्टिस एनके गुप्ता ने सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव विनोद कुमार और प्रमुख सचिव (कार्मिक) दीप्ति गोड़ मुखर्जी को नोटिस जारी कर पूछा था कि एक्ट में बदलाव से पहले अनुमति क्यों नहीं ली गई? जिसमें सरकार को 29 जुलाई को जवाब पेश करना था, लेकिन इसके एक दिन पहले ही राज्य शासन ने एक्ट में जोड़ी गई धारा 17A हटा दी. जिसके बाद जांच एजेंसियों को फ्री हैंड मिल गया.
इसे भी पढ़ें ः जनसंख्या नियंत्रण नीति को लेकर हाइकोर्ट में याचिका दायर, नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने कोर्ट से की ये मांग
आपको बता दें कि धारा 17A धारा के तहत बने उस नियम को सरकार हटा रही है, जिसमें लोकायुक्त-EOW को जांच के लिए विभाग की अनुमति लेनी पड़ती थी. जिसके संबंध में राज्य सरकार ने आदेश जारी कर दिए हैं. हालांकि सरकार ने 26 दिसंबर 2020 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-17 में 17-ए जोड़ी थी. इसके तहत लोकायुक्त और EOW समेत अन्य जांच एजेंसियों को सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ जांच, पूछताछ से पहले विभाग से अनुमति लेने का प्रावधान जोड़ा गया था.
इसे भी पढ़ें ः स्कूल खुलने पर पढ़ाई करने पहुंचा बंदरों का दल, प्रिंसिपल की ही ले ली क्लास, देखिए वीडियो
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक