कुमार इन्दर, जबलपुर। देशभर सहित मध्यप्रदेश में भी जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर घमासान मचा हुआ है. वहीं अब जनसंख्या नियंत्रण नीति को लेकर एमपी हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है. इस याचिका में जनसंख्या नियंत्रण नीति साल 2000 को लागू कराने की मांग की गई है.

जनसंख्या नियंत्रण नीति पर याचिका नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने लगाई है. मंच ने हाईकोर्ट से नीति को लेकर बनी समितियों को फिर से जिंदा करने की मांग की है. साथ ही इस नीति के लिए बनाई गई तमाम रिपोर्टों को भी हाईकोर्ट में पेश करने की मांग की गई है.

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नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने अपनी याचिका में कहा कि मध्य प्रदेश की जनसंख्या वृद्ध दर राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा है. पिछले 10 सालों में प्रदेश की जनसंख्या दर 20 फीसदी है. जबकि राष्ट्रीय जनसंख्या दर 17 फीसदी है. याचिका में कहा गया कि एमपी की जनसंख्या दर राष्ट्रीय जनसंख्या दर से भी ज्यादा है. आगे कहा गया कि पिछले 21 सालों से जनसंख्या नीति पर कोई काम नहीं हुआ है. जनसंख्या के दबाव में प्रदेश में प्राकृतिक स्रोत कम पड़ रहे हैं. नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने मुख्य सचिव को भी लेटर भेज चुका है.

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आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह सरकार ने साल 2000 में जनसंख्या नीति लागू की थी. 26 जनवरी 2000 को जनसंख्या कंट्रोल के लिए एक कानून बनाया गया. यह कानून पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने जनसंख्या कंट्रोल के लिए कानून बनाया था. जिसमें दो से ज्यादा बच्चे होने पर सरकारी नहीं मिलेगी. इस कानून के मुताबिक सरकारी नौकरी के दौरान 2 से ज्यादा बच्चे होते हैं तो नौकरी से बर्खास्त किया जाएगा. दो से ज्यादा बच्चे होने पर पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक लगाया गया था. 2005 में शिवराज सरकार ने इसे पलटते हुए चुनाव लड़ने के रोक को हटा दिया था. सिर्फ सरकारी ने नौकरी में इस कानून को लागू रखा.

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