सुप्रिया पांडे,रायपुर। छत्तीसगढ़ में इन दिनों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से ठगी के मामले सामने आ रहे हैं. कुछ ठग उन्हें आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से सुपरवाइजर के रूप में प्रमोशन दिलाने की बात कहकर पैसों की मांग कर रहे हैं. कुछ ठग बड़े पद पर सरकार नौकरी दिलाने की बात कहकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को आसानी से ठग रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता काफी आसानी से ठगों के झांसे में आने लगी है. कई ठग मंत्रालय और संचालनालय तक अपनी पहुंच बताते हुए सक्रिय हैं. कई ऐसे भी मामले हैं जिनमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने नकदी लाखों रुपए दे दिए हैं, लेकिन अपनी बेइज्जती के डर से वे ना तो ठगी की जानकारी किसी को दे रही हैं, ना ही पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा रही हैं. इसलिए कई ठग अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं और आराम से बेखौफ होकर घूम रहे हैं.
महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी अशोक पाण्डेय ने कहा कि ऐसे ठगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए विभाग खुद भी पहल कर रहा है. ऐसे में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को खुलकर सामने आना चाहिए. इंटरनेट के जरिए आज कल राज्य के किसी भी अधिकारी की विस्तृत जानकारी मिल जाती है. सरकारी नौकरी के लिए कभी भी पैसे देने की आवश्यकता नहीं होती. इसकी एक निर्धारित प्रक्रिया है. यदि कार्यकर्ताओं के द्वारा ऐसे आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कराई जाएगी, तो पुलिस को मामले की जानकारी भी नहीं होगी.
इस मामले में छतीसगढ़ जुझारू आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका कल्याण संघ की प्रांता अध्यक्ष पदमावति साहू ने कहा कि काफी कार्यकर्ताओं से ठगी की जा चुकी है. ठग लगभग 4-5 सालों से सक्रिय हैं. सुपरवाइजर पद पर प्रमोशन देने की बात कर कार्यकर्ताओं से रकम की मांग करते हैं. पूरे प्रदेश में यह ठगी का मामला लगातार आ रहा है. कुछ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मामला छिपा भी रही हैं. परिवार वालों की डर की वजह से वे शायद सामने नहीं आना चाहती. कार्यकर्ताओं के द्वारा संगठन को भी खुलकर नहीं बताया जा रहा है. प्रदेश भर में लगभग 3 से 4 करोड़ रूपए की ठगी का मामला अब तक सामने आ चुका है. यदि कार्यकर्ता उन ठगों के खिलाफ शिकायत करती है, तो संगठन को आरोपियों के खिलाफ एक्शन लेने में आसानी होगी.
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