सुनील शर्मा, भिंड। मध्य प्रदेश के कई जिलों में आई बाढ़ ने सब कुछ बर्बाद कर दिया. इस तबाही के बाद सिर्फ बर्बादी और लोगों की बेबसी का मंजर दिख रहा है. इस दौरान बाढ़ के बाद मदद के लिए कई हाथ उठ रहे हैं. कोई रोटी लेकर पहुंच रहा है तो कोई फल, लेकिन इन दिनों भिंड जिले में दो जुड़वा बहनों ने इस आपदा के समय बाढ़ पीड़ितों के बीच पहुंचकर चर्चा का विषय बन गई हैं. ये दोनों जुड़वा बहनें बाढ़ पीड़ित महिलाओं और युवतियों को दो हज़ार सेनेटरी पेड्स वितरित किए हैं. वह भी अपनी बचत से, ये दोनों बच्चियां भिंड पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह की जुड़वां बेटियां हैं. जिनके इस प्रयास ने न सिर्फ़ मेन्स्ट्रूअल हाईजीन को लेकर गम्भीरता दिखाई है, बल्कि इस विषय को लेकर समाज में लोग बात तक नहीं करते और शर्माते हैं, समाज में जागरूकता की एक अलख भी जगाई है.

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कहने को नव्या और भव्या दोनो जुड़वा बहने एक आईपीएस ऑफ़िसर की बेटियां हैं, लेकिन दोनों ही ज़मीनी स्तर पर रह कर एक आम ज़िंदगी जीना पसंद करती हैं. लोगों से मिलना उन्हें समझना हर क्षेत्र और परिवेश से वाक़िफ़ होना पसंद है. उससे भी ज़्यादा उन लोगों की मदद करना जिन्हें वाक़ई मदद की ज़रूरत है. नव्या ने बताया की वे हमेशा से ही ऐसे लोगों की मदद करने की कोशिश करती हैं जिन्हें समाज में कम सुविधाएं मिलती हैं. उन्होंने कहा कि भिंड में भी बाढ़ आने की जानकारी मिली तो महिलाओं और बच्चों को कपड़े और सेनेटरी पेड्स वितरित करने बाढ़ प्रभावित गांव भारौली पहुचीं.

नव्या और भव्या के सेनेटरी पैड्स बांटने के विचार पर बताया कि आज के समय में मेन्स्ट्रूअल हाईजीन बेहद ज़रूरी है. संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इस बारे में बात करता है. फिर कोविड हो या बाढ़, महिलाओं के पीरियड्स तो नहीं रुकते, इसलिए उनका प्रयास है कि इन परिस्थितियों में कम से कम महिलाओं को मेन्स्ट्रूअल हाईजीन के लिए एक अच्छा प्रोडक्ट दे सकें.

आईपीएस ऑफ़िसर की बेटियां होने के बाद भी छोटी सी उम्र में भी नव्या और भव्या को दूसरों की मदद करना अच्छा लगता है, लेकिन उन्हें अपने काम में पिता का नाम जुड़ना पसंद नहीं है. यही वजह है की उनके द्वारा बाढ़ पीड़ितों को बांटे गए दो हजार सेनेटरी पैड्स भी उन्होंने खुद ख़रीदे हैं. भव्या ने बताया की तीन साल पहले उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफोर्म इंस्टाग्राम पर रीडिंग मैजिक नाम की एक ऑनलाइन शॉप बनाई है. जिसमें बुक्मार्क्स, टी-शर्ट्स, कुशन कवर, बैज़ेस नोट्बुक, नोट पैड्स जैसे प्रॉडक्ट्स सेल करते हैं. इससे जो भी प्रॉफ़िट होता है, उसे चेरिटी वर्क में खर्च करते हैं. इस बार भिंड में बाढ़ से प्रभावित हुए लोगों में महिलाओं को सेनेटरी पैड्स देने का फ़ैसला किया है.

भिंड में सेनेटरी पैड्स बांटने के लिए ख़रीदी करने नव्या और भव्या ने ऑनलाइन होल्सेलर से सम्पर्क किया था. भिंड के मनेपुरा में स्थित ‘राग इनोवेशन’ के अनुराग पेडवाला से बात हुई. शुरुआत में आम ग्राहक की तरह ही रीटेल प्राइज़ 26 रुपय पैकेट के हिसाब से बताए, लेकिन जब ऑर्डर की संख्या हज़ारों में बताई तो अनुराग ने उनसे इतने पैकेट्स ख़रीदने की वजह जाननी चाही और जब उन्हें पता चला की ये सेनेटरी पैड्स डोनेट किए जाने को लेकर ख़रीदे जा रहे हैं. तो उन्होंने इन्हें मेकिंग कॉस्ट यानी सिर्फ़ 10 रुपय प्रति पैकेट में देने का फ़ैसला किया. इस तरह नव्या और भव्या को अपने प्रोफ़िट के 20 हज़ार रुपय में 2000 सेनेटरी पेड्स के पैकेट बांटने की लिए उपलब्ध हो गए.

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