रायपुर। 1 जुलाई 2017 से लागू जीएसटी ने छत्तीसगढ़ सरकार की आय पर बुरा असर डाला है. इन 6 महीनों में सरकार की टैक्स से होने वाली आय में कमी आई है. राज्य सरकार को करीब ढाई महीने के अंतराल के बाद ही रिजर्व बैंक से मदद लेनी पड़ गई है. राज्य सरकार ने 10 साल में लौटाने की शर्त के साथ आरबीआई से 1 हजार करोड़ रुपए का कर्ज मांगा है, जो उसे कल मिल जाएगा.
जीएसटी लागू होने के बाद से इन 6 महीनों में राज्य को सिर्फ 2300 करोड़ रुपए ही मिले हैं, जबकि साल 2016-17 में वैट के तहत 3,150 करोड़ रुपए तक की इनकम होती रही है.
पिछले साल सरकार के खर्चों में हुई बढ़ोतरी
वहीं राज्य सरकार के खर्चों की बात करें, तो 2017 में सरकारी खर्चों में बेतहाशा वृद्धि हुई. पहले सातवां वेतनमान, धान का बोनस, तेंदूपत्ता बोनस, मुफ्त मोबाइल समेत विभिन्न योजनाओं में करीब 5 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए. वहीं टैक्स राजस्व कम हो गया, जिससे निपटने के लिए अब सरकार को कर्ज का सहारा लेना पड़ रहा है. पहले सरकार ने अक्टूबर 2017 में 900 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था और अब फिर आरबीआई से 1000 करोड़ रुपए कर्ज की मांग की गई है. इस तरह से 3 महीनों में ही सरकार को करीब 1900 करोड़ रुपए कर्ज लेना पड़ गया. सरकार मई में 700 करोड़ रुपए की पहली किश्त भी आरबीआई से ले चुकी है.
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने छत्तीसगढ़ के लिए इस साल 6400 करोड़ रुपए तक की लिमिट तय की है. वित्त विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, अगर जीएसटी में टैक्स वसूली इसी तरह से घटती रही तो इस साल राज्य को पूरी लिमिट का उपयोग करना पड़ेगा, जो बीते 16 सालों में नहीं हुआ.
कल से होगी नए बजट पर चर्चा
इधर कल 3 जनवरी से वित्त विभाग ने साल 2018-19 के नए बजट के लिए मंत्रियों के साथ बैठकें तय कर दी हैं. चर्चा की शुरुआत कल आदिम जाति विकास मंत्री केदार कश्यप के विभागों से होगी. इस दिन खाद्य मंत्री पुन्नूलाल मोहले और गृहमंत्री रामसेवक पैकरा के विभागों के बजट प्रस्तावों पर भी चर्चा की जाएगी. 4 जनवरी को मंत्री अजय चंद्राकर, 5 जनवरी को नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल, 6 जनवरी को पीडबल्यूडी मंत्री राजेश मूणत के विभागों के बजट प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी.