मुंबई। पुणे हिंसा की आग मुंबई तक भी पहुंच गई थी. कल महाराष्ट्र बंद था. लेकिन कई जगह पथराव और यातायात रोकने की कोशिश की गई. कल मुंबई में हुई हिंसा के मामले में बड़ी कार्रवाई की गई है. यहां दंगा फैलाने के आरोप में 300 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. वहीं 25 लोगों पर FIR भी दर्ज की गई है. इन आरोपियों की अलग-अलग कोर्ट में पेशी होगी.

वहीं आज भीमा-कोरेगांव की हिंसा पर राज्यसभा में हंगामा हो रहा है. कांग्रेस सांसद रजनी पाटिल और बीएसपी ने ये मामला उठाया. बीएसपी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज हिंसा की जांच करें. बीएसपी ने कहा कि दलितों पर अत्याचार हो रहा है. समाजवादी पार्टी ने भी हिंसा का मुद्दा सदन में उठाया. सपा नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार हिंसा रोकने में नाकाम रही.

राज्यसभा में शरद पवार का बयान

राज्यसभा में शरद पवार ने हिंसा पर बयान दिया. उन्होंने कहा कि महार रेजिमेंट ने पेशवाओं को हराया था. उन्होंने कहा कि पिछले 200 सालों से जश्न होता आ रहा है, तो फिर इस साल क्या हुआ. पवार ने कहा कि वे खुद 50 सालों से दलितों के शौर्य दिवस को जानते हैं. उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक ताकतों ने ये हिंसा फैलाई.

वहीं राज्यसभा में शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि पेशवा का संबंध आरएसएस से नहीं था. उन्होंने कहा कि भीमा कोरेगांव में अदृश्य शक्ति के कारण हंगामा हुआ.

गौरतलब है कि भीमा-कोरेगांव लड़ाई की सालगिरह पर भड़की हिंसा के खिलाफ बुधवार को दलित नेता प्रकाश अंबेडकर की अगुवाई में कई संगठनों ने महाराष्ट्र बंद बुलाया था. इस दौरान मुंबई समेत कई इलाकों में हिंसा हुई. कई जगह बसों में तोड़फोड़ हुई. बेस्ट की बसों को रोका गया. रेल रोकने की कोशिश हुई, साथ ही कई जगहों से पथराव की खबर भी आई.

जिग्नेश मेवाणी और उमर खालिद के खिलाफ केस दर्ज

दलित नेता जिग्नेश मेवाणी और दिल्ली के जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद पर सेक्शन 153(A), 505, 117 के तहत पुणे में एफआईआर दर्ज हुई है. इन दोनों पर पुणे में हुए कार्यक्रम के दौरान भड़काऊ भाषण देने का आरोप है.

वहीं मेवाणी और उमर खालिद के कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति भी नहीं दी है. ये दोनों नेता बतौर वक्ता छात्र भारती के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जाने वाले थे. बता दें कि उमर खालिद पर पहले से ही देशद्रोह का केस चल रहा है. जेएनयू में देशविरोधी नारे लगाने के बाद खालिद सुर्खियों में आ गया था.

क्या थी भीमा-कोरेगांव की लड़ाई?

भीमा कोरेगांव की लड़ाई 1 जनवरी 1818 को पुणे स्थित कोरेगांव में भीमा नदी के पास महार और पेशवा सैनिकों के बीच लड़ी गई थी. इसमें अंग्रेजों ने पेशवा द्वितीय के खिलाफ लड़ाई जीती थी. इस लड़ाई में सैनिकों के साथ कुछ महार भी शामिल थे. महार सैनिकों को उनकी वीरता और साहस के लिए सम्मानित किया गया और उनके सम्मान में भीमा कोरेगांव में स्मारक भी बनवाया, जिन पर महारों के नाम लिखे गए.

अंग्रेजों की तरफ 450 महार समेत कुल 500 सैनिक थे, जबकि दूसरी तरफ पेशवा बाजीराव द्वितीय के 28,000 पेशवा सैनिक थे. सिर्फ 500 सैनिकों ने पेशवा की शक्तिशाली 28 हजार मराठा फौज को हरा दिया था.

हर साल नए साल के मौके पर पुणे के परने गांव में दलित पहुंचते हैं. यहीं वो जयस्तंभ स्थित है, जिसे अंग्रेजों ने उन सैनिकों की याद में बनवाया था, जिन्होंने इस लड़ाई में अपनी जान गंवाई थी.