अजय सूर्यवंशी. प्रदेश के जश्पुर में ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ का खेल चल रहा है. यहां से एक बेहद चौकाने वाली जानकारी सामने आई है. आरोप है कि एक तहसीलदार ने ट्रांसफर के बाद बैक डेट में कई फाइलों में आदेश जारी कर रहे है. ये पूरा मामला कलेक्टर महादेव कावरे के संज्ञान में आया और उन्होंने बागीचा का निरीक्षण किया.

इस निरीक्षण के बाद गाज एक बाबू पर गिरी और उन्हें कलेक्टर ने कार्य में लापरवाही बरतने के लिए सस्पेंड कर दिया. जानकारी के मुताबिक कलेक्टर ने तहसील में पदस्थ रीडर जयपाल बरवा को निलंबित कर दिया है. हालांकि तहसीलदार के खिलाफ क्या जांच होगी ये अभी स्पष्ट नहीं हो सका है.

बरवा को निलंबित करने की वजह कार्य में लापरवाही को बताया जा रहा है. कलेक्टर के मुताबिक उन्होंने जब निरीक्षण किया तब उन्हें लंबित मामलों की जानकारी मांगी, जिसे वे बताने में नाकाम साबित हुए. इसके अलावा भी नियमों के मुताबिक कार्य में लापरवाही बरतने के कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया.

ये आरोप बगीचा में पदस्थ रहे तहलीदार टीडी मरकाम पर लगे है. हालांकि इस संबंध में जब कलेक्टर से ये पूछा गया कि तहसीलदार ट्रांसफर के बाद भी बैक डेट में काम करने आए थे और इसकी शिकायत अधिवक्ता संघ ने आप से की है, कही इसलिए तो आपने रीडर को सस्पेंड नहीं किया ? इस शिकायत को लेकर उन्होंने कुछ नहीं कहा, उन्होंने बस इतना कहा कि मैंने निरीक्षण किया और कार्य में लापरवाही के कारण उन्हें सस्पेंड किया गया है.

बता दें कि ये वहीं अधिकारी है जो नौकरी छोड़कर बीजेपी की टिकट से चुनाव लड़ने के लिए काफी जद्दोजहद भी की थी, लेकिन उन्हें टिकट का आश्वासन नहीं मिला था.

 अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष बी एन गोस्वामी का कहना है कि ये बात तो आ रही है लेकिन हम प्रूफ नहीं कर पाएंगे इसलिए सीधा-सीधा आरोप नहीं लगा पा रहे है. तहसील के रीडर जयपाल बरवा के पास जब हमारे अधिवक्ता जाते है तो उनका केस का कोई भी फाइल नहीं मिलता और न ही ऑनलाइन कही दर्ज भी नहीं किया गया है, जब उन फाइलों में मरकाम तहसीलदार का साइन हो जाता है तब वह गुमी हुई फाइल मिल जाती है.