रायपुर. छत्तीसगढ़ के लोगन और जन मानस के हिरदे ले जुड़े तिहार पोरा (पोला) ह अन्नदाई (अन्नपूर्णा माता) के मान बढ़ाए के तिहार हरे. पोरा म छत्तीसगढ़ के रहवासी मन अन्नदाई अउ नांदिया बईला (मिट्टी का बना बैल की प्रतिमा) के पूजा करके उंखर ले सुख-समृद्धि के मनौती मानथें. काबर के अन्नदाई माने अनाज अउ नांदिया बईला माने पशुधन दूनों हर हमर राज के किसान भाई अउ उंखर किसानी ले जुड़े हे. किसान भाई मन उंखर ले अरजी (प्रार्थना) करथें के ए बछर उंखर आशीरबाद बने रहाय.

भादो महिना के अंधिरारी पाख म अमावस के दिन पोरा तिहार ल मनाए जाथे. बिहिनया दाई-माई मन नहाखोर के पूजा के तइयारी करथें. बिहनिया सोंहारी(पूड़ी), बरा(बड़ा), ठेठरी-खूरमी(छत्तीसगढ़ी पकवान), दार-भात, अउ अम्मटहा कढ़ही घलो बनाथें. एक दिन पहली गांव म आए कुम्हार हर माटी के बने बईला जेन ल नांदिया बईला कथे, वोला देथें. बईला के संग चार ठन सिली(चक्का) घलो देथें. संग म माटी ले बने जांता(चक्की) अउ पोरा-चुकिया(मिट्टी बना रसोई का खिलौना बर्तन) देथे.

ये पोरा-चुकिया ह माटी के पाके खेलवना बरतन (खिलौना बर्तन) रथे. गांव म कुम्हार घलो पउनी होथे, जेन ह किसान मन ल तिहार के पहिली नांदिया बईला अउ पोरा-चुकिया लाके देथे. कुम्हार ल धान-कोदो, रूपिया-पईसा देके उंखर मान करे जाथे. कस्बा अउ शहर म ये पोरा-चुकिया ल कुम्हार अउ व्यापारी मन बेंचथे. जेन नांदिया बईला ल सजाए जाथे, सिली ल बांस के लकड़ी में बुलकाके लईका मन बर चलाए के लईक बनाए जाथे. फेर नांदिया बईला अउ पोरा-चुकिया ल पूजा कुरिया म कुल देबी-देवता के तीर(नजदीक) म रखथे.

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जब घर के दाई-माई मन जम्मों पकवान ल बना देथें. तब पूजा के थारी म इही पकवान ले सजा के किसान भाई मन ह पूजा करथें. बईला के पीठ म ठेठरी-खूरमी अउ सोंहारी ल रखे जाथे. संगे संग पोरा-चुकिया म घलो पकवान ल रखथें. पान-फूल चढ़ा के हूम-धूप देथें. फेर नरियर फोर के परसाद चढ़ाथें. अन्नदाई ल मनौती मनाथें के ए बछर बने आशीरबाद दे रहिबे. संगे-संग गउ माता अउ बईला (पशुधन) ले घलो अरजी (प्रार्थना) करथें कि उंखरों आशीरबाद बने रहाय. बईला ह किसान के बेटा बरोबर होथे, जेन नागर जोते म किसान के सहयोग करथे. तेखर पाय के उंखर पूजा करे जाथे.

लईका मन दउड़ाथे नांदिया बईला

जब देवता मन थोरकुन थीरा-जुड़ा लेथें, तब घर के मनखे मन घलो मझनियां परसाद पाथें. परसाद के बाद के लईका मन नांदिया बईला ल दउंड़ाथें. कोनों-कोनों गांव म सही के बईला के घलो दउंड़ होथे, गांव के जम्मों लईका सियान जेखर आनंद लेथें. कोनों-कोनों गांव म येखर प्रतियोगिता घलो होथे, जेखर आयोजन गांव वाले अउ संचालन समिति के मनखे मन करथें. गांव के सियान मन गांव के कोनो परमुख मुद्दा म चरचा घलो करथे. कोनों-कोनों गांव में रामधुनी, राम सताव, रामायन अउ संगे संग किसम-किसम के उछाह मंगल के धार्मिक कार्यक्रम घलो होथे.

नोनी मन गाथे सुआ

संझा बेरा गांव के नोनी अउ बेटी मन गांव के परमुख देबी-देवता के स्थान तीर म पहुंच के पोरा पटकथें. नोनी मन सुघ्घर सुआ अउ पंड़की के गीत गाथें. नोनी मन बर रहचुली अउ झूलना घलो गढ़ियाथें. जेन बेटी मन पहलिच ले तीजा आ जथें, वो मन पोरा के घलो बरोबर आनंद लेथें. गांव के मैदान म चर्रा-खुडुवा, फूगड़ी, बितंगी संग गांव के जम्मों खेल के आनंद लेथें. लईका मन के खेल ल देखे बर गांव के मनखें मन घलो जुरिया रथें. कहूं-कहूं जवान मन आज के दिन घलो नरियर फेंक के खेल खेलथें. नरियर फेंक के खेल में बाजी घलों लगाथें.

खेत-खार नईं रेंगय

तइही बेरा के सियान मन के मनाना हे के आज के दिन खेत-खार के रद्दा म नई रेंगे जाए, काबर अईसे मानना हे के आज के दिन धनईया-कोदईया (धान और कोदो के रूप में अन्नपूर्णा माता) ह गोठबात (वार्तालाप) करथें. कहूं खेत-खार के रद्दा ले आबे-जाबे तो धनईया-कोदईया दाई मन नाराज हो जथें, जेखर ले खरीफ सीजन के अनाज के पैदावार कम हो जही. धनईया-कोदईया ह खुश रही तो उत्पादन दनादन (भरपूर) होही. छत्तीसगढ़ के इतिहास ल मानबो त इहां के मूल निवासी इहां के आदिवासी मन आय, जेन मन प्रकृति जुड़े हे. तेखरे पाए के इहां के हर तिहार अउ गांव के देबी-देवता ह पेड़-पौधा, पशु-पक्षी अउ अनाज ले जुड़े हे. इहीं के रहवइया मन प्रकृति ल अपन संरक्षक मानथें अउ स्वयं ल प्रकृति के संरक्षक मानथे.

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किसानी ले जुड़े राज

हमर राज के बड़े आबादी हर किसानी ले जुड़े हे. जेखर करा खेती-खार नई हे वो हर अधिया, रेखहा अउ बनिहार बन के किसानी ले जुड़े हे. कुल मिला के इंहा के ज्यादा ले ज्यादा मनखे मन किसानी ले जुड़े हे, तेखर पाए के छत्तीसगढ़ जम्मों तिहार किसान अउ किसानी जुड़े हे. छत्तीसगढ़ के सरकार अउ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ह घलो किसान बेटा आय, ते पाए के वो ह छत्तीसगढ़ी तिहार ल बने ढंग ले समझथे. ओखर कार्यकाल म किसान, किसानी ले जुड़े बनिहार अउ आदिवासी मन के मान बाढ़िस हे. पशुधन, प्रकृति अउ जंगल ले जुड़ी-बू़टी ल बिसेश संरक्षण देवत हें.

मुख्यमंत्री निवास के संग संग शासन स्तर म घलो तीजा-पोरा बर बिसेश आयोजन घलो करवावत हें, जेखर ले छत्तीसगढ़िया मन के स्वाभिमान बाढ़त हे. सरकार अउ उंखर मुखिया के ए परकार के शुरूआत करे ले लोगन म बढ़ उछाह हे. अवइया बेरा म कोनो सरकार राहय अब ए आयोजन बंद नई हो सकय. अब छत्तीसगढ़िया मनखे घलो इंहा के संस्कृति ल लेके जागरूक हो गेहे.

मनखे मन ले अनुरोध

हमर राज के जम्मों मनखे मन ले घलो अनुरोध हे कि हमर राज अउ हमर पुरखा के तिहार भटन (नष्ट होने) मत दौव, जईसे हमर राज के मुखिया हमर पुरखा के चिन्हारी ल उजागर करत हे, उइसने आपोमन अपन घर म उजागर करत रहौ. जय जोहर.

आलेख
लेखक- एन.डी. मानिकपुरी
अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता