रायपुर- आदिवासियों की जमीन खरीदने के सरकार के नए नियम से सर्व आदिवासी समाज की बढ़ती नाराजगी दूर करने और भू राजस्व संहिता में हुए संशोधन की तकनीकी जानकारी देने के लिहाज से 9 जनवरी को मंत्रालय में उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई है. बैठक में विभाग के सचिव की ओर से सर्व आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों को प्रेजेंटेशन भी दिखाया जाएगा. शाम चार बजे होने वाली इस बैठक में राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय के भी शामिल होने की चर्चाएं हैं.
दरअसल छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्य सरकार ने भू राजस्व संहिता की धारा 165 (6) में संशोधन किया था. नए संशोधन के तहत आदिवासियों की सहमति से सरकार उनकी जमीन राज्य व केंद्र सरकार की परियोजनाओं के लिए खरीद सकेगी. संशोधित प्रावधान को लेकर ही सर्व आदिवासी समाज ने सरकार से गहरी नाराजगी जताते हुए इसे आदिवासी विरोधी करार दिया था. 4 जनवरी को सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह से भी मुलाकात की थी, लेकिन मुलाकात के बाद भी समाज में इसे लेकर नाराजगी बनी हुई है.
समाज की ओर से दी जा रही दलीलें कहती हैं कि आदिवासियों के हितों से जुड़े कानूनों में संशोधन का अधिकार राज्यपाल को हैं और इस कानून में संशोधन के लिए राज्यपाल की ओर से नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया. संशोधन किए जाने के पहले जनजातीय सलाहकार परिषद से रायशुमारी भी नहीं की गई. इधर राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय की दलील है कि भू राजस्व संहिता में संशोधन का अधिकार राज्य सरकार का है. और विधानसभा में पारित किए जाने सभी विधेयकों पर मंजूरी राज्यपाल ही देते हैं. लल्लूराम डाॅट काॅम से बात करते हुए प्रेमप्रकाश पांडेय ने कहा कि भू राजस्व संहिता में संशोधन से आदिवासी समाज का हित ही जुड़ा है. उनकी सहमति के बगैर कोई भी जमीन नहीं ले सकेगा.
इधर सर्व आदिवासी समाज के बीपीएस नेताम ने कहा है कि 9 जनवरी को मंत्रालय में सरकार के साथ होने वाली बैठक के बाद समाजिक स्तर पर आगे की रणनीति तय की जाएगी.