रायपुर. नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंह देव ने राष्ट्र​पति और अनुसूचित जनजाति आयोग को पत्र लिखकर भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक 2017 पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग की है.

टीएस सिंह देव ने अपने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ एक आदिवासी बाहुल्य प्रदेश है. जल-जंगल जमीन ही उनकी अस्मिता व सम्मान का परिचायक है. बीते कई दशकों में उनके हितों के संरक्षण के लिए अनेक संवै​धानिक प्रावधान किये गये हैं. आदिवासियों के सामाजिक उत्थान और उन्हें अधिकार सम्पन्न बनाने के लिए संविधान में लगातार संशोधन कर अनेक सख्त कानून बनाने गये थे. जिसके अनुसार अ​धिसूचित क्षेत्रों में जमीन की खरीदी-बिक्री को आंशिक रूप से प्रतिबंधित रखा गया है.

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शीतकलीन सत्र में भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक 2017 पेश किया गया, जो कि असंवैधानिक है. यह संशोधन भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(5), 19(6), 244(1), 143, 275, 368, 13(3) के प्रावधानों पर सीधा प्रतिघात हैं एवं संविधान की मूल भावना के विपरीत है.

इस संशोधन विधेयक का प्रदेश भर में व्यापक पैमाने पर विरोध किया जा रहा है. राज्य की भाजपा सरकार के संशोधन विधेयक ने अधिसूचित क्षेत्र में जमीन खरीदने की पाबंदी को ही समाप्त कर उनकी जमीन लेने का रास्ता खोल दिया है, जो आदिवासियों के हितों पर कुठाराघात है और इसके दूरगामी परिणाम भयंकर साबित होंगे. ​इसलिए इस संशोधन विधेयक पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाये जाने की जरूरत है. जिससे प्रदेश के आदिवासियों के जल जंगल जमीन के नैसर्गिक अधिकार व संविधान की मूल भावना को कायम रखा जा सके.