नई दिल्ली। केजरीवाल सरकार एक अनोखी तकनीक की मदद से ओखला बैरल परियोजना में करीब 600 करोड़ रुपए बचाएगी. नई तकनीक को अपनाकर 662 करोड़ रुपए लागत की इस परियोजना को अब महज 60 करोड़ रुपए में पूरा किया जा सकेगा. जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि 115 एमजीडी दूषित पानी को ले जाने वाले 15 किलोमीटर लंबे पाइप लाइन को अब सिर्फ 60 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जा सकेगा और ओखला में सीवेज ले जाने वाले पुराने पाइप के पुनर्विकास का काम दो सालों में पूरा किया जाएगा.
मौजूदा समय में पुरानी पाइपों का इस्तेमाल करना मुश्किल
केजरीवाल सरकार देश में कम लागत और समय से पहले अपनी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए जानी जाती है. जल मंत्री और दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने कालकाजी से विधायक आतिशी के साथ 15 किलोमीटर लंबे सीवेज के पाइपों का निरीक्षण किया. यह तीनों पाइप प्रतिदिन 115 मिलियन गैलन (एमजीडी) दूषित पानी को दक्षिण और मध्य दिल्ली से ओखला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) तक ले जाते हैं. इन पाइपों का उपयोग भारी मात्रा में सीवेज ले जाने के लिए किया जाता है. ये पाइप दशकों पहले बनाए गए थे, जिनका उपयोग मौजूदा समय में करना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि इसकी सीवेज ले जाने की क्षमता कम हो गई है.
90 फीसदी कम लागत में पूरी होगी परियोजना
गौरतलब है कि पहले इस परियोजना को पूरा करने के लिए 662 करोड़ रुपए की लागत तय की गई थी, लेकिन जल मंत्री सत्येंद्र जैन के हस्तक्षेप के बाद इस परियोजना को प्रस्तावित राशि से 90 फीसदी कम लागत में पूरा किया जाएगा. अब दिल्ली सरकार 60 करोड़ रुपए में ही इस परियोजना के काम को पूरा करेगी. जल मंत्री ने डीजेबी के अधिकारियों को नए तरीकों पर काम करने के निर्देश दिए हैं, ताकि दो साल के अंदर ही यह काम पूरा किया जा सके.
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मंत्री सत्येंद्र जैन ने डीजेबी के वरिष्ठ अधिकारियों और विभिन्न विशेषज्ञों से परामर्श किया. उन्होंने अधिकारियों को इस परियोजना को पूरा करने के लिए नए तरीके खोजने के निर्देश दिए. दिल्ली सरकार ने इन पाइपों के पुनर्विकास के लिए 662 करोड़ रुपये मंजूर किए थे. इन 3 पाइप लाइनों में से सबसे पुराना पाइप 1938 में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था, जबकि अन्य दो पाइप 1956 और 1985 में बनाये गए थे.
2200 मिलीमीटर व्यास की नई पाइप लाइन बिछाने का निर्देश
जल मंत्री ने अधिकारियों को हाई डेंसिटी पोलीइथाइलीन (एचडीपीई) के 2200 मिलीमीटर व्यास की एक नई पाइप लाइन बिछाने का निर्देश भी दिया. इस पाइपलाइन को पुरानी पाइपलाइन के समानांतर बिछाया जाएगा. इस नई पाइप लाइन को प्राथमिकता पर बनाया जाएगा. इसके बाद सबसे पुराने पाइप का पुनर्विकास किया जाएगा, जिसका निर्माण 1938 में किया गया था.
इस पाइप लाइन का पुनर्विकास करने के लिए अधिकारियों को 4 महीने का समय दिया गया है. उन्होंने डीजेबी अधिकारियों को 1956 और 1985 में बने पाइपों की सफाई को 2 साल के भीतर पूरा करने के निर्देश दिए हैं. इस परियोजना के पूरा होने के बाद इस क्षेत्र में दूषित पानी को ओखला एसटीपी तक ले जाने के लिए कुल 4 पाइप होंगे. इससे इन पाइप लाइनों की सीवेज ले जाने की क्षमता में वृद्धि होगी.
ये तीनों पाइप एक-दूसरे के साथ समानांतर बने हैं, जो दक्षिण और मध्य दिल्ली से 115 एमजीडी दूषित पानी ओखला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) तक ले जाते हैं. इन पाइपों में किलोकारी, रिंगरोड, एंड्रयू गंज, ईस्ट ऑफ कैलाश और प्रगति विहार के सीवेज पंपिंग स्टेशनों से दूषित पानी आता है.
इसके अलावा इनमें मोदी मिल, तुगलकाबाद सीवर लाइन, कालकाजी ट्रंक सीवर और बाटला हाउस सीवर लाइन से भी दूषित पानी आता है. यह पाइप कई दशक पुराने हैं. इनमें से सबसे पुराना पाइप 1938 में ब्रिटिश चिनाई की प्रक्रिया का उपयोग करके बनाया गया था, जबकि अन्य दो पाइप 1956 और 1985 में बनाए गए थे. इन पाइपों का इस्तेमाल आज की जरूरतों के हिसाब से करने में काफी मुश्किलें आ रही हैं. साथ ही इन पाइपों की क्षमता में भी कमी आई है. इसी वजह से दिल्ली सरकार ने इन पाइपों को जल्द से जल्द पुनर्विकसित करने का निर्णय लिया है.