कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश में ओबीसी के 27% आरक्षण को लेकर आज हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हुई. मामले में आरक्षण के पक्ष और विपक्ष की तरफ से अधिवक्ताओं ने अपनी अपनी राय रखी. हइकोर्ट ने सारे पक्षों को सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर को तय की है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह साफ कहा कि 2 सितंबर को मध्य प्रदेश सरकार की ओर से जारी सरकुलेशन पर किसी तरह की कोई रोक नहीं लगाई जाएगी. रोक केवल उन्हीं मामलों पर है जो मामले अभी न्यायालय के विचाराधीन है.

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EWS की भर्तियां निर्णय के अधीनन

बता दें कि ओबीसी आरक्षण के साथ ही EWS आरक्षण को लेकर भी 7 याचिकाएं हाईकोर्ट में लगी हुई हैं. जिसको लेकर भी आज मध्यप्रदेश हाइकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट को यह बताया गया कि किस तरह एनएचआरएम की भर्ती में EWS के 10 प्रतिशत आरक्षण से बढ़कर 22.8% के हिसाब से भर्ती की गई है. वहीं ओबीसी को 14% आरक्षण की जगह 6.30 के हिसाब से भर्ती की गई है, जो कि आरक्षण नियमों का खुला उल्लंघन है. जिसके बाद हाईकोर्ट ने EWS की सारी भर्तियों को निर्णय के अधीन कर दिया है.

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2 सितंबर को जारी सर्कुलेशन पर भी सुनवाई

2 सितंबर को मध्यप्रदेश सरकार के सर्कुलेशन को भी चुनौती देने वाली याचिका पर भी आज सुनवाई हुई. बता दें कि 2 सितंबर को मध्य प्रदेश सरकार ने महाधिवक्ता पुरसेन्द्र कौरव के अभिमत के बाद हाई कोर्ट में चल रहे मामलों को छोड़कर बाकी सभी विभाग में 27% के हिसाब से भर्ती करने के निर्देश दिए थे, लिहाजा उस सर्कुलेशन को लेकर भी हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका सागर के हरिसिंह गौर के एक प्रोफेसर ने एक याचिका लगाई थी. जिस पर भी आज सुनवाई हुई. उस याचिका को भी 30 सितंबर को सुनवाई के लिए रख दिया गया है.

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कांग्रेस की ओर से इंद्रा जयसिंह ने रखा पक्ष

ओबीसी आरक्षण मामले में कांग्रेस की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ लायर अभिषेक मनु सिंघवी और इंदिरा जयसिंह को हायर किया गया है. इसी कड़ी में आज इंदिरा जयसिंह ने मामले में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में ओबीसी की कितना परसेंट आरक्षण आबादी के हिसाब से आरक्षण मिलना चाहिए. आपको बता दें कि ओबीसी आरक्षण को लेकर 30 से ज्यादा याचिका हाईकोर्ट में लगी हुई हैं.

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