अमरकंटक: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अमरकंटक में नर्मदा के संरक्षण के लिए रोडमैप जारी किया. लेकिन पीएम मोदी यहां की मान्यताओं और उसके डर पर काबू नहीं पा पाए. दरअसल अमरकंटक को लेकर ऐसी मान्यता है कि अगर कोई बड़ा आदमी हवाई मार्ग से अमरकंटक पहुंचता है तो उसके बुरे दिन शुरू हो जाते हैं. इसलिए पीएम मोदी ने पहले 8 किलोमीटर दूर एक गांव में अपना हेलीकॉप्टर उतावाया फिर वे वहां से कार में बैठ कर अमरकंटक पहुंचे.
बात कुछ यूँ है कि पुरानी मान्यताओं के अनुसार जिस राजनेता ने भी नर्मदा नदी को लांघा है, उसे अपनी सत्ता गंवानी पड़ी है. ऐसा भी नहीं है कि इसका खंडन करने की पहले कोशिश नहीं की गयी. लेकिन हर बार मान्यता सही साबित हुयी. पहले भी मोरारजी देसाई के अलावा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, मोतीलाल वोरा, उमा भारती, सुंदरलाल पटवा, श्यामाचरण शुक्ल, केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, पूर्व राष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत ने नर्मदा नदी को लांघा था, जिसके बाद उन्हें कुर्सी से हाँ धोना पड़ा था. इसी बात को बल देती हुयी एक मान्यता और है कि नर्मदा के उद्गम स्थल के आठ किमी के दायरे में जो भी हेलीकॉप्टर से आया, उसने सत्ता गंवाई है. चर्चा है कि इसी मिथक के चलते पीएम मोदी के लिए डिंडोरी जिले में अमरकंटक से आठ किमी की दूरी पर हेलीपेड बनाया गया और बाकी की यात्रा उन्होंने कार से की.