हेमंत शर्मा, इंदौर। ”मंजिल उन्हीं को मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती हैं, सिर्फ पंखों से कुछ नहीं होता, दोस्तों हौसलों से उड़ान होती है.” इन लाइनों को आपने अक्सर सुना होगा. जो इंदौर की होनहार बालिका बुलबुल पांजरे पर सटीक बैठती है. जिसने अपनी मेहनत और लगन से अपना और अपने माता-पिता का नाम पूरे देश में रोशन किया है.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं इंदौर की मूक-बधिर नर्स बुलबुल पांजरे की. जिसका सिलेक्शन नर्सिंग में हुआ है. 21 वर्षीय बुलबुल पांजरे बचपन से सुन और बोल नहीं सकती हैं, लेकिन बुलबुल में काबिल ऐसी है कि साधारण लोग भी दांतो तले अपनी उंगली दबाने पर मजबूर हो जाए.
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विज्ञान नगर में रहने वाली मेडिकल की छात्रा बुलबुल पांजरे ने निजी कॉलेज से बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई की और कॉलेज से जुड़े अस्पताल में ही करीब 6 माह से नर्स का इंटरशिप कर रही हैं. जिसके बाद बुलबुल को शहर के एक प्रमुख अस्पताल में नर्स के पद पर चुना गया. बुलबुल पांजरे की मां संगीता पांडे ने पांजरे कि बुलबुल को बचपन से ही अलग तरह के कार्यों में रुचि रही. बुलबुल को शास्त्रीय नृत्य में भी खासी रुचि थी. जिसको इंदौर की प्रसिद्ध नृत्यांगना रागिनी मक्खर ने इसकी प्रतिभा को पहचाना और प्रशिक्षण देकर उसकी इस काबिलियत को देश भर में पहचान दी.
बुलबुल इंडिया गोट टैलेंट सहित अन्य बड़े आयोजनों में अपना टैलेंट दिखा चुकी है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्केच बनाकर उन्हें भेंट किया गया. जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस इंदौर की बेटी की तारीफ की. गौरतलब है कि सुनने और बोलने की कमी के चलते बुलबुल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नाना और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दादा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मामा बोलती हैं, लेकिन धीरे-धीरे मां ने उसे समझाया कि यह प्रधानमंत्री है और यह राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री.
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आपको बता दें इससे पहले वर्षा डोंगरे जो मूकबधिर मिस इंडिया से सम्मानित हो चुकी हैं. साथ ही कई मुक बधिर लड़कियों ने अपना और शहर का नाम रोशन किया है. हालांकि बुलबुल का कहना है कि उसका सपना है कि नर्स बन लोगों की सेवा करें, इसीलिए उसने बीएससी नर्सिंग का विषय चुना था. लेकिन स्कूल के पढ़ाई के दौरान काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. बावजूद इसके रोजाना कई घंटे पढ़ाई करने और मेहनत के बल पर ये मुकाम हासिल किया.
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