प्रतीक चौहान. रायपुर. राजधानी रायपुर के एक निजी कॉलेज में पढ़ने वाली 23 साल की बेटी सलोनी गर्ग ने अपने पिता को किडनी डोनेट की है. ये बेटी मूलतः संबलपुर की रहने वाली है.

सलोनी गर्ग कहती है कि पूरा परिवार इस बात के लिए तैयार नहीं था कि मैं किडनी दूं. परिवार को चिंता थी कि मेरी शादी होगी या नहीं. लेकिन इन सब बातों की चिंता मैंने नहीं की. मेरे लिए पापा मेरी पूरी दुनिया है. इसलिए मैंने अपने पिता को किडनी डोनेट करने का फैसला किया.

2019 में हुई थी बाइपास सर्जरी

सलोनी बताती है कि 2019 में उनके पिता सुनील गर्ग की बाइपास सर्जरी हुई. तब डॉक्टरों ने बताया था कि उनके किडनी में दिक्कत है. लेकिन बीमारी इतनी गंभीर नहीं थी. लेकिन 6 महीने पहले जब इसकी जांच करवाई तो पता चला कि बीमारी गंभीर हो गई है और किडनी ट्रांस्प्लांट ही एक मात्र विकल्प है. उनके परिवार में बेटी और पिता दोनो का ही बस ब्लड ग्रुप सेम यानी ओ पॉजिटिव है. लेकिन बेटी की छोटी उम्र और भविष्य को देखते हुए उनकी मां ने इच्छा जाहिर की कि वही किडनी डोनेट करेंगी.

…तो किडनी रिजेक्शन के थे चांस

डॉक्टरों ने स्पष्ट कर दिया कि ब्लड ग्रुप सेम न होने पर किडनी रिजेक्शन की संभावना काफी बढ़ सकती है. इसलिए बेटी सलोनी ने डॉक्टरों से स्पष्ट कर दिया कि अपने पिता को किडनी वहीं डोनेट करेंगी और इसकी तैयारी कर ली जाएं.

उन्होंने डॉक्टरों से अनुमति लेने के बाद सभी जरूरी टेस्ट करवाएं. इसके बाद दिल्ली के मेदांता में किडनी ट्रांस्प्लांट की पूरी प्रक्रिया की गई. बेटी सलोनी ने बताया कि ट्रांस्प्लांट 9 सितंबर को हुआ है. लेकिन उनके पिता और वो दोनो अभी गुड़गांव में ही है और उनके हर जरूरी टेस्ट तीन-तीन दिनों में किए जा रहे है. पिता और बेटी दोनों स्वस्थ्य है और उन्हें जल्द डिस्चार्ज करने की तैयारी है.

ये बात कहते हुए पिता की आंखे हुई नम…

पिता ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में सिर्फ इतना कहा- कि मेरी बेटी मेरे लिए भगवान है… इतना कहते ही उनकी आंखे नम हो गई. बता दें कि बेटी सलोनी को ओड़िशा मारवाड़ी युवा मंच ने ओड़िशा आर्गन डोनेशन का ब्रांड एम्बेसेडर भी नियुक्त किया है.