धमतरी. छत्तीसगढ़ी भाषा की अपनी एक मिठास है जो हर किसी को अपनी ओर खींच लेती है और अपना बना लेती है. इसकी एक बानगी इन दिनों धमतरी में देखने को मिल रही है. यहां न सिर्फ कलेक्टर बल्कि जिले के अधिकारी भी छत्तीसगढ़ी भाषा सीखने में कोई कसर नही छोड़ रहे हैं. इतना ही नही ये अधिकारी लोगों के बीच साईकिल चलाकर पहुंच रहे हैं और छत्तीसगढ़ी संस्कृति और सभ्यता को समझने की कोशिश भी कर रहे हैं. वहीं ग्रामीणों से मिलकर गांवों की समस्याएं भी सुन रहे हैं. अधिकारियों को अपने बीच पाकर लोग बेहद खुश नजर आ रहे हैं.

ये तस्वीर है धमतरी जिले के अधिकारियों की. जो सप्ताह के एक दिन स्वयं साईकिल चलाते हुए नजर आते हैं और सुबह साईकिल चलाते चलाते किसी भी गांव पहुंच जाते हैं. सड़क से गुजरते अधिकारियों के इस दल को लोग देखकर एकबारगी हैरान रह जाते हैं कि आखिर ये अधिकारी क्या संदेश देना चाह रहे हैं. हालांकि अधिकारी साईकिल चलाकर पर्यावरण और सेहत बनाये रखने का संदेश दे रहे हैं.

लेकिन इसके साथ ही छत्तीसगढ़ी संस्कृति से भी जुड़ रहे हैं. अधिकारियों का दल जैसे गांव पहुंचता है लोग उनका आत्मीय स्वागत करते हैं. इस दल में कलेक्टर सहित जिला स्तर के कई अधिकारी शामिल होते हैं. जो गांव पहुंचकर छत्तीसगढ़ी संस्कृति से रूबरू होते हैं और लोगों की समस्याएं भी सुनते हैं.

दरअसल जिले के कलेक्टर डाॅ.सीआर प्रसन्ना मुलतः तमिलनाडू के रहने वाले हैं. इसके साथ ही कई अधिकारी भी अलग अलग प्रदेशों से यहां अपनी सेवाएं दे रहे हैं. चूंकि प्रदेश में आमतौर पर छत्तीसगढ़ी भाषा बोली जाती है. लिहाजा शिकायत लेकर पहुंचने वाले लोगों की समस्याएं समझने में प्रशासनिक अधिकारियों को दिक्कतें होती हैं.

इन्ही परेशानियों को देखते हुए कुछ महीनों से कलेक्टर और जिले के कुछ अधिकारी छत्तीसगढ़ी भाषा सीखने का प्रयास कर रहे हैं. बकायदा सप्ताह के एक दिन क्लास लगायी जाती है. जहां सभी अधिकारी छत्तीसगढ़ी भाषा सीखने की कोशिश कर रहे हैं. इसके आलावा अधिकारियों का दल सुबह साईकल चलाते हुए गांव गांव पहुंच चैपाल लगाकर लोगों से उनकी समस्याओं के बारे में चर्चा करते हैं और छत्तीसगढ़ी संस्कृति को समझ रहे हैं.वही लोगों के बीच पहुंचकर ये अधिकारी छत्तीसगढ़ी व्यंजन का स्वाद लेने के साथ ही उसे बनाने की विधि की जानकारी भी ले रहे हैं.

अधिकारियों का कहना है कि अलसुबह साईकिल चलाना और लोगों के बीच पहुंचना उनके रूटीन में शामिल है. इससे पर्यावरण के प्रति संदेश देने के साथ साथ सेहत भी दुरूस्त रहती है. वहीं ग्रामीणों का मानना है कि इस प्रकार अधिकारियों के पहुंचने से उनकी समस्याएं दूर होगी और एक आत्मीयता का भाव भी आएगा.