चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस में घमासान खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. अब इसकी आंच प्रभारी पद तक पहुंच गई है. बताया जा रहा है कि हरीश रावत की पंजाब कांग्रेस प्रभारी पद से छुट्‌टी करने की तैयारी हो चुकी है. उनकी जगह राजस्थान सरकार में मंत्री हरीश चौधरी को ये जिम्मेदारी मिल सकती है.

पंजाब कांग्रेस के झगड़े को ठीक तरह से हैंडल नहीं कर पाए हरीश रावत

दरअसल हाईकमान हरीश रावत से खुश नहीं है. वे पंजाब कांग्रेस के झगड़े को ठीक तरीके से हैंडल नहीं कर पाए. वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफा देने के बाद जब चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया था, तब भी उन्होंने विवादित बयान देते हुए कहा था कि विधानसभा चुनाव में सीएम पद का चेहरा सिद्धू होंगे. इस पर पार्टी के अंदर से भी विरोध के सुर उठे और विरोधियों ने भी जमकर निशाना साधा. रावत पर सीएम पद की गरिमा को कम करने के भी आरोप लगे. बार-बार उनके विवादित बयान से पार्टी में कलह बढ़ती चली गई. इसे देखते हुए हाईकमान हरीश रावत को हटाने का फैसला कर सकता है. वहीं बता दें कि हरीश चौधरी पंजाब कांग्रेस के सह इंचार्ज रह चुके हैं.

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हरीश रावत को हटाया जा सकता है, ये संकेत कांग्रेस आलाकमान से मिले थे. कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद चरणजीत चन्नी नए CM बन गए. जब नवजोत सिंह सिद्धू चन्नी सरकार के फैसले से नाराज हुए, तो रावत पंजाब आना चाहते थे, लेकिन अंतिम वक्त में कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें रोक दिया. उनकी जगह हरीश चौधरी को पंजाब भेज दिया गया.

हरीश रावत की जगह हरीश चौधरी को भेजा गया पंजाब

 

इसके बाद गुपचुप तरीके से सिद्धू को साधने की कोशिश की गई. सिद्धू और चन्नी के बीच पंजाब भवन में बैठक हुई, वहां भी चौधरी मौजूद रहे. सिद्धू और चन्नी सरकार में झगड़े की वजह बने DGP और AG पद को लेकर सहमति बनवाई. इस वजह से अब चौधरी को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है.

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सिद्धू को नहीं खोना चाहता हाईकमान

 

इधर कैप्टन अमरिंदर के बागी तेवर देख अब कांग्रेस हाईकमान सिद्धू को मनाना चाह रहा है, इसलिए DGP और AG को लेकर फॉर्मूला निकाला गया. नए DGP का फैसला UPSC से लिस्ट आने के बाद होगा. वहीं नए एडवोकेट जनरल एपीएस देयोल से बेअदबी और गोलीकांड केस हटा लिए गए हैं. यह केस अब स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर एडवोकेट आरएस बैंस देखेंगे.

हरीश रावत के किन-किन बयानों से मचा बवाल ?

कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिद्धू के झगड़े की असल जड़ हरीश रावत थे. रावत ने सिद्धू को पंजाब में कांग्रेस का भविष्य बताया. उन्हें पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के लिए लॉबिंग की. सिद्धू अध्यक्ष बन भी गए और कैप्टन के खिलाफ बगावत होने लगी. रावत ने फिर कैप्टन की तारीफ की और कहा कि अगला विधानसभा चुनाव कैप्टन की ही अगुवाई में लड़ा जाएगा, तो सिद्धू खेमे ने इसका विरोध किया. कैप्टन ने 18 सितंबर को इस्तीफा दे दिया. चन्नी सीएम बन गए. इधर हरीश रावत ने इस बार कह दिया कि चुनाव में सीएम पद का चेहरा सिद्धू होंगे, तो फिर बवाल मचा. इस पर कांग्रेस आलाकमान को सफाई तक देनी पड़ गई.

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सीएम चन्नी को नहीं दिया गया राहुल-सोनिया से मिलने के लिए वक्त

 

एक तरफ तो सिद्धू ने अभी इस्तीफा वापस लेने की घोषणा नहीं की है, जबकि हाईकमान इसे नामंजूर कर चुका है. तो वहीं सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने शुक्रवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से तो मुलाकात की, लेकिन उन्हें राहुल और सोनिया गांधी से मिलने के लिए वक्त ही नहीं दिया गया.