रायपुर. सर्व पितृ अमावस्या के दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जिनके परिजनों को पितरों की देहांत तिथि ज्ञात नहीं होती है या भूल चुके होते हैं. कहा जाता हैं कि इस दिन श्राद्ध करने से भोजन पितरों को स्वथा रूप में मिलता है. शास्त्रों के अनुसार, पितरों के लिए बनाए गए भोजन से पहले पंचबली भोग लगाया जाता है.
- इसमें भोजन से पहले पांच ग्रास, गाय, कुत्ता, कौवा, चींटी और देवों के लिए अन्न निकाला जाता है. इसके साथ ही ब्राह्मण को भोजन कराया जाता है. शास्त्रों की मान्यताओं के मुताबिक पितरों के भोजन साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर ही बनाएं. पितृ पक्ष के आखिरी दिन पिंडदान और तर्पण की क्रिया की जाती है. शाम को दो, पांच या सोलह दीपक जलाने की भी मान्यता है. ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं.
आज न करें ये काम
- भिक्षु को खाली हाथ ना लौटाएं
- तामसिक भोजन से दूरी रहे जैसे अमावस्या के दिन प्याज, लहसुन, मांस और मदिरा का सेवन भूकरर भी नहीं करना चाहिए.
- आज के दिन मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों का आयोजन नहीं करना चाहिए. इस दिन घर के लिए महत्वपूर्ण चीजों की खरीददारी ना करें.
- सर्व पितृ अमावस्या के दिन बाल, नाखून और दाढ़ी नहीं काटनी चाहिए. शास्त्रों मे इन चीजों को करना अशुभ माना गया है.
करें ये काम
- ब्राम्हणों को भोजन कराएं
- पितरों के निमित्त भूखे लोगों में भोजन के रूप में मीठे चावल जरूर बांटें. ऐसा करने से घर की आर्थिक परेशानी दूर होती है और धन संपत्ति का आगमन होता है.
- इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद आटे की गोलियां बनाएं और किसी तालाब या नदी के किनारे जाकर ये आटे की गोलियां
- मछलियों को खिला दें. ऐसा करने से करने से आपकी सभी परेशानियों का अंत होगा.
- पितरों की आत्मा की शांति के लिए सर्व पितृ अमावस्या के दिन गाय, कुते और कौए को भोजन अवश्य कराना चाहिए.
पितृदोष को शांत करने के उपाय
यदि आप पर पितृ दोष लगा हुआ है या आपको लगता है कि आपके पितर आपसे नाराज हैं तो माना जाता है कि अमावस्या को पितरों के निमित्त पवित्रता पूर्वक बनाया गया भोजन और चावल बूरा,घी व एक रोटी गाय को खिलाने से पितृ दोष शांत होता है. इसके साथ ही अमावस्या के दिन अपने पूर्वजों के नाम पर दुग्ध, चीनी, सफ़ेद कपडा, दक्षिणा आदि जरूर किसी मंदिर में या किसी योग्य ब्राह्मण को दान करना चाहिए.
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