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बैठक में कोविड-19 महामारी के जारी रहने तक गैर पीडीएस लाभार्थियों को, प्रवासी कामगारों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आगे भी मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने का प्रस्ताव रखा गया था, जिसे कैबिनेट ने सर्व सम्मति से मंजूरी दी.
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कैबिनेट में प्रस्ताव रखा गया कि कोविड-19 के दौरान लगाए गए लॉकडाउन के दौरान आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा है, जिसमें विशेष रूप से जिनके पास राशन कार्ड नहीं है. इसमें प्रवासी श्रमिक, असंगठित श्रमिक, भवन और निर्माण श्रमिक, घरेलू नौकर वगैरह शामिल हैं. दिल्ली कैबिनेट ने 25 मई 2021 को ऐसे जरूरतमंद लोगों को मुफ्त सूखा राशन (खाद्यान्न) देने का निर्णय लिया था. एनएफएस अधिनियम 2013 के तहत निर्धारित पात्रता के अनुसार, प्रवासी श्रमिकों, असंगठित श्रमिकों, निर्माण श्रमिकों, घरेलू सहायिका सहित जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, उन जरूरतमंद लोगों को 5 किलो खाद्यान्न मुफ्त दिया गया.
दिल्ली सरकार के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री के अनुमोदन से विभाग द्वारा दिनांक 27 मई 2021 को कोविड-19 के मद्देनजर उपरोक्त राशन के वितरण के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए थे. इसके लिए भारतीय खाद्य निगम से खाद्यान्न की खरीद की गई और दिल्ली में 282 चिन्हित वितरण केंद्रों, शिक्षा विभाग के स्कूलों, तीनों नगर निगमों और एनडीएमसी के जरिए जरूरतमंद लोगों को 5 जून 2021 से वितरित किया जा रहा है. लाभार्थियों को राशन वितरित करने का काम सौंपे गए स्कूल अधिकारियों को दिल्ली रिलीफ नाम के सॉफ्टवेयर लिंक के लिए लॉगिन आईडी और पासवर्ड दी गई है.
वहीं, अब दिल्ली में रह रहे गैर पीडीएस लाभार्थियों की संख्या बढ़ कर करीब 40 लाख हो गई है. दिल्ली कैबिनेट में दिल्ली में रह रहे इन 40 लाख गैर-पीडीएस लाभार्थियों को भी पीडीएस लाभार्थियों की तरह खाद्यान्न उपलब्ध कराने और खरीदने का प्रस्ताव रखा गया. कैबिनेट ने निर्णय लिया कि प्रवासी श्रमिकों, असंगठित श्रमिकों, भवन और निर्माण श्रमिकों, घरेलू सहायिकाओं सहित जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, उन जरूरतमंद लोगों को आगे भी मुफ्त राशन मिलता रहेगा.
राशन वितरण के दौरान सुरक्षा और कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन कराने के लिए प्रति वितरण केंद्र पर चार सिविल डिफेंस कर्मचारी तैनात रहेंगे. शुरुआत में यह अनुमान लगाया गया है कि लगभग 100 वितरण केंद्रों की आवश्यकता होगी. एक केंद्र प्रति सर्कल और 30 अतिरिक्त केंद्र उन क्षेत्रों में खोले गए हैं, जहां प्रवासी मजदूर रहते हैं. इन अतिरिक्त 30 केंद्रों को लोगों की मांग के अनुसार शुरू किया जाएगा.
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दिल्ली में करीब 72 लाख राशन कार्ड धारक हैं. केंद्र सरकार ने हर राज्य का एक कोटा तय किया हुआ है कि किस राज्य में कितने राशन कार्ड धारक होंगे, इसलिए दिल्ली में नए राशन कार्ड अभी नहीं बन सकते हैं, जबकि दिल्ली में कई ऐसे लोग हैं, जो गरीब हैं, लेकिन उनका कार्ड नहीं बन पाया, क्योंकि दिल्ली का राशन का कोटा खत्म हो गया है. मुख्यमंत्री ने मई महीने में निर्णय लिया था कि जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, उन लोगों को भी दिल्ली सरकार राशन देगी. जो लोग भी कहेंगे कि हम गरीब हैं, हमें राशन चाहिए, उन लोगों को राशन दिया जाएगा. इसमें 4 किलो गेहूं और 1 किलो चावल शामिल है. पिछले साल भी जब पहली लहर आई थी, तब मुख्यमंत्री के निर्देश पर खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने गैर पीडीएस वालों को राशन दिया था. इस राशन प्राप्त करने के लिए कोई आय प्रमाण पत्र देने की जरूरत नहीं होगी.
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दिल्ली में रह रहे जिन लोगों के पास राशन कार्ड नहीं हैं, जिनमें असंगठित कामगार, प्रवासी कामगार, घरेलू सहायिका व भवन निर्माण में काम करने वाले श्रमिक आदि दिल्ली सरकार की इस राहत भरी पहल के तहत खाद्यान्न प्राप्त करने के पात्र हैं. दिल्ली सरकार ने एफसीआई से उच्च गुणवत्ता का खाद्यान्न लिया है. गैर-पीडीएस राशन के वितरण के लिए चिन्हित किए गए प्रत्येक स्कूल को पंजीकरण करने, वितरण का रिकॉर्ड रखने और साइट पर प्राप्त स्टॉक को सिस्टम में दर्ज करने के लिए लॉगिन आईडी और पासवर्ड दिया गया है. दिल्ली में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अंतर्गत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत, पीआर और पीआरएस श्रेणी में एनएफएस लाभार्थियों को हर महीने 5 किलो खाद्यान्न प्रदान किया जाता है, जिसमें 4 किलो गेहूं और 1 किलो चावल शामिल हैं. एएवाई श्रेणी के तहत नियमित रूप से 25 किलोग्राम गेहूं, 10 किलो चावल और एक किलो चीनी प्रति परिवार है. एनएफएस योजना के अंतर्गत गेहूं 2 रुपए प्रति किलो, चावल 3 रुपए प्रति किलो और चीनी 13.50 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से दिया जाता है.
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