रायपुर.  तेंदूपत्ता खरीदी पर पूर्व सीसीएफ एसके शुक्ला ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जनहित याचिका प्रस्तुत की है. उक्त याचिका में याचिकाकर्ता ने यह प्रश्न उठाया है कि राज्य सरकार तेंदूपत्ता अधिनियम 1964 के अंतर्गत तेंदूपत्ता खरीदी हेतू समितियों का गठन करती है व साथ ही तेंदूपत्ता खरीदी हेतु दर निर्धारण किए जाने हेतु मंत्रणा समिति का भी गठन करती है.

वहीं जब वन अधिकार अधिनियम 2006 अस्तित्व में आ गया तत्पश्चात तेंदूपत्ता अधिनियम 1964 के अंतर्गत संग्रहण दर पर खरीदी करना विधि विरुद्ध है, क्योंकि वन अधिकार अधिनियम की धारा 3 एवं 4 के प्रावधान के अनुसार फॉरेस्ट डवेलर्स अथवा वनवास करने वाले आदिवासी तथा अन्य वनवासियों के हक में गैर कास्ट वन उपज (नॉन वुड फॉरेस्ट प्रोड्यूस) जिसके अंतर्गत तेंदूपत्ता शामिल है, का मालिकाना हक दे दिया है और ऐसी स्थिति में राज्य शासन खरीदी दर निर्धारित कर ही तेंदूपत्ता की खरीदी की जा सकती है संग्रहण दर पर नहीं.

उक्त याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति दीपक तिवारी की खंडपीठ ने शासन को 2 सप्ताह में वस्तुस्थिति व नीति से संबंधित जानकारी प्राप्त करने हेतु निर्देशित किया है. उक्त याचिका पर तेंदूपत्ता अधिनियम 1964 एवं वन अधिकार अधिनियम 2006 के प्रावधानों पर वर्ष 2007 से 2020 तक की गई तेन्दुपत्ता खरीद पर एरियर्स का भी भुगतान किये जाने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रोहित शर्मा ने पक्ष रखा है.

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