रायपुर. सलमान खान की दबंग फिल्म से ज्यादा दबंगई तो डागा कॉलेज के प्रोफ़ेसर दुबे की है. डागा कन्या महाविद्यालय का पूरा स्टाफ कई सालों से भीगी बिल्ली बना हुआ है. संगीता घई के नई प्रिंसिपल बनने के बाद अब मामले ने रायपुर के दबंग कहानी में नया मोड़ ले लिया है. प्रोफ़ेसर डीके दुबे के दबंगई से इतना खौफ है कि नई प्राचार्या संगीता घई पदभार ग्रहण नहीं कर पा रही हैं. प्रिंसिपल कक्ष पर बैठ भी नहीं पा रही हैं. प्रिंसिपल चैंबर पर ताला लटका रहता है या तो प्रोफ़ेसर दुबे आराम फरमाते हैं.

अब आपको पूरा मामला पूरी तफ्तीश के साथ बताते हैं. दरअसल प्रोफ़ेसर डीके दुबे को डेढ़ साल पहले प्रभारी प्राचार्य बनाया गया था. इन दिनों में वे इतने दबंग हो गए की दबंगई का आलम आज पर्यंत जारी है. प्रोफ़ेसर के खिलाफ विभिन्न थानों में दर्जनों मामले लगातार दर्ज होते गए. खैर! कोई कार्रवाई अब तक क्यों नहीं हो पाई. दर्जनों मामले दर्ज होने के बाद भी तथाकथित दबंग खान की दबंगई पुलिस क्यों नहीं रोक पाई. इसकी पड़ताल कभी और करेंगे. शायद इस कहानी में कोई और कड़ी जुड़ती नजर आये.

फिलहाल आपको बता दें कि प्रोफ़ेसर डीके दुबे के खिलाफ सिविल लाइन, पुलिस लाइन, महिला थाना, मौदहापारा थाना और एसपी ऑफिस में भी मामला पंजीबद्ध है. सभी मामला महिला प्रोफ़ेसर से गाली-गलौज, अभद्रता, नौकरी से निकाले जाने की धमकी, गेट के बाहर फेंक देने की धमकी, मानसिक प्रताड़ना, महिला प्रोफेसरों को घूर कर देखना, दबंग आँखों को सेंकना  और ऐसे ही कई दबंगई जैसे अपराध पंजीबद्ध हैं. इस संबंध में कॉलेज समिति का यहाँ तक कहना है कि कॉलेज में प्रोफ़ेसर दुबे कॉलेज में कोई क्लास नहीं लेते. दो माह पूर्व ही प्रभारी प्राचार्य के पद से हटाये जाने के बाद भी पद पर काबिज हैं. जबकि प्रभारी प्राचार्य का जिम्मा समिति ने सिर्फ मौखिक आदेश दिया था.

वही इस मामले पर प्रोफ़ेसर डीके दुबे का कहना है कि वे प्रजातंत्र के सोये हुए आदमी नहीं हैं. वे हर काम नियम कायदे से करते हैं. उनके पास प्रभारी प्राचार्य का अपॉइंटमेंट लेटर भी है. महिला प्रोफेसरों का थाने जाना मैनेजमेंट की साजिश है. साथ ही कॉलेज प्रबंधन उनके खिलाफ लगातार षड्यंत्र कर रही है. वे अपना पद छोड़ने को तैयार हैं मगर नियम के विरुद्ध सिर्फ आदेश पर नई प्राचार्य को पदभार नहीं सौपेंगे. प्रोफ़ेसर डीके दुबे का कहना है कि अभी तक डागा कॉलेज के प्राचार्य सिर्फ वे खुद हैं. वे किसी नई प्राचार्या को नहीं जानते. वे आज भी प्रिंसिपल चैंबर में खुद बैठते हैं. सभी दस्तावेजों में वे आज पर्यंत खुद ही हस्ताक्षर करते हैं. वे खुद ही कॉलेज प्रबंधन समिति के अनुमति के बगैर कॉलेज में फंक्शन करवाते हैं. साथ ही थानों में दर्ज मामलों के संबंध में पूछे जाने पर प्रोफ़ेसर दुबे ने कहा कि उनके पास आज तक किसी थाने से कोई समंस नहीं आया.