न्याय के मंदिर से एक 8 साल की मासूम को न्याय मिला. हालांकि उस दुष्कर्मी की हैवानियत भरी करतूत के बाद मासूम इस दुनिया में नहीं है. लेकिन कोर्ट के इस फैसले से शायद उसकी आत्मा को शांति मिलेगी.

दुष्कर्मियों में खौफ पैदा करने के लिए नागौर की विशेष पॉक्सो कोर्ट (न्याय का मंदिर) ने शुक्रवार को नजीर पेश की. पुलिस की कार्यशैली भी सराहनीय रही. तभी तो आठ साल की मासूम से दुष्कर्म और हत्या के आरोपी मुंहबोले मामा दिनेश को कोर्ट ने 33 दिन में ही सजा-ए-मौत सुना दी. यह तेजी इसलिए भी खास है क्योंकि इन 33 दिनों में 11 दिन कोर्ट की छुट्टियां रहीं. जज रेखा राठौड़ ने गुरुवार को ही दिनेश को दोषी करार दिया था. सुनवाई के दौरान दिनेश के वकील ने उसकी कम उम्र और पहली गलती का हवाला देकर कम सजा की मांग की थी. यही नहीं दिनेश की दिमागी हालत ठीक न होने का हवाला भी दिया था, लेकिन मेडिकल बोर्ड से जांच में फिट निकला. कोर्ट ने दलीलों को दरकिनार करते हुए और मौके से मिले खून और अन्य तथ्यों की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए फांसी की सजा सुनाई.

ये है पूरा मामला

पूरी घटना 20 सितंबर को हुई थी. राजस्थान के पादूकलां थाना के एक गांव में दोपहर करीब 3 बजे घर के पास ही रहने वाला मुंहबोला मामा 8 साल की मासूम बच्ची के घर आया था. बाद में परिजनों ने मासूम को मुंहबोले मामा के साथ उसके घर भेज दिया. देर शाम तक जब मासूम नहीं लौटी तो परिजनों ने आसपास के घरों तथा खेतों में बच्ची को ढूंढा. आरोपी युवक कुछ बताने के बजाय धमकाने लगा. परिजन थाने पहुंचे और मामला दर्ज कराया. बाद में ग्रामीणों के सहयोग से करीब 2 बजे बच्ची की लाश घर के पास ही खेत में खड़ी फसल में मिल गई. इसके बाद पुलिस ने देर रात आरोपी को गिरफ्तार कर लिया.