देहरादून। देवस्थानम बोर्ड का मुद्दा उत्तराखंड की भाजपा सरकार के लिए चुनावी साल में बड़ी मुसीबत बनने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रवास से पहले सोमवार को केदारनाथ पहुंचे पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का पुरोहितों ने जमकर विरोध किया.

दरअसल, देवस्थानम बोर्ड भंग करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तीर्थ पुरोहितों से 31 अक्टूबर का समय मांगा था. लेकिन डेडलाइन गुजरजाने के बाद भी देवस्थानम बोर्ड भंग नहीं हुआ है. अब तीर्थ पुरोहितों ने चारों धामों में पूजा पाठ बंद कर देवस्थानम बोर्ड का जमकर विरोध करना शुरू कर दिया है. ऐसे में त्रिवेंद्र रावत के केदारनाथ पहुंचने पर पुरोहितों ने रास्ते में लेटकर मंदिर के दर्शन करने न​हीं जाने दिया. यही नहीं गंगोत्री में पुरोहितों ने धाम में रैली निकालकर बाजार बंद रखा था.

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 नवंबर को केदारनाथ धाम पहुंचने वाले हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री की अगुवाई की तैयारी में जुटी भाजपा सरकार के लिए मामले को जल्द सुलझाने का दबाव बना हुआ है. अगर मामले का जल्द निपटारा नहीं हुआ था, प्रधानमंत्री की यात्रा खटाई में पड़ सकती है.

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प्रबंधन बोर्ड का विरोध क्यों

भाजपा के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड बनाया था, जिसमें बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम समेत 51 मंदिरों को शामिल किया गया है. लेकिन इस एक्ट का पहले ही दिन से चारधाम के तीर्थ पुरोहित विरोध कर रहे हैं. विरोध को एक स्वर देने के लिए पुरोहितों ने चारधाम हकहकूकधारी महापंचायत का गठन किया है. पुरोहितों के अधिकारों में हनन की बात कहते हुए महापंचायत देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग कर रहा है.

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