राष्ट्रपति भवन में ऊषा चौमर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया.
ऊषा चौमर मूलतः राजस्थान के अलवर की रहने वाली है. पद्मश्री का सम्मान लेते समय ऊषा की आंखें भर आईं. उन्होंने अपने जीवन में जो संघर्ष किया है वो कहानी सुनकर आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे.
- 7 साल की उम्र से मैला ढोना पड़ा.
- 10 साल की उम्र में शादी हो गई.
- ससुराल में यही काम करना पड़ा.
- काम से लौटने के बाद खाना खाने की इच्छा नहीं होती थी.
- मंदिर में घुसने की इजाजत नहीं थी. लोग अछूत मानते थे.
- यह कहानी है 53 साल की दलित महिला ऊषा चौमार की. लेकिन आज तस्वीर बदल चुकी है. सुलभ इंटरनेशनल के एनजीओ नई दिशा ने उन्हें इस जिंदगी से आजादी दिलाई. राजस्थान के अलवर की ऊषा आज ऐसी सैकड़ों महिलाओं की आवाज हैं.
- आज वह स्वच्छता के लिए संघर्ष और मैला ढोने के खिलाफ आवाज उठाने वाली संस्था की अध्यक्ष हैं. उषा ने सुलभ इंटरनेशनल के सहयोग से राजस्थान में स्वच्छता की अलख जगाई.
- उनके पति मजदूरी करते हैं. तीन बच्चे हैं – दो बेटे और एक बेटी. बेटी ग्रेजुएशन कर रही है और एक बेटा पिता के साथ ही मजदूरी करता है. ये पढ़ना न भूले- शास्त्रीय गायक पं छन्नूलाल मिश्रा, सुषमा स्वराज, मैरी कॉम को पद्म पुरस्कार
देखें ये पूरा वीडियो कैसे आया ऊषा चौमर के जीवन में बदलाव
President Kovind presents Padma Shri to Smt Usha Chaumar for Social Work. She is the President of Sulabh International Social Service Organisation. pic.twitter.com/yoI9VAEznx
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 8, 2021
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— Lallu Ram (@lalluram_news) November 9, 2021