बिलासुपर. गोधन न्याय योजना का बिलासपुर जिले में राज्य स्तर पर उत्कृष्ट क्रियान्वयन सफलता पूर्वक किया जा रहा है. वर्तमान में बिलासपुर जिला गोधन न्याय योजना के माॅडल के रूप में राज्य स्तर पर स्थापित हो रहा है. जिले के 257 सक्रिय गोठानों में 7536 पशुपालकों द्वारा 1 लाख 48 हजार 390 क्विंटल गोबर गोठानों में विक्रय किया गया, जिससे अब तक गोबर विक्रेता पशुपालकों को 2 करोड़ 94 लाख 14 हजार रूपए से अधिक का भुगतान किया जा चुका है.
गोबर बेचकर खरीदा दोपहिया वाहन
गोधन न्याय योजना बिलासपुर जिले में 20 जुलाई 2020 से संचालित है. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के पशुपालकों, चरवाहों और ग्रामीण स्तर के साधारण गरीब पशुपालक परिवारों को गोबर विक्रय से अतिरिक्त आय प्राप्त हो रही है. जिससे पशुपालक अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा कर रहे है. विकासखण्ड बिल्हा के गोठान ग्राम सेलर के पशुपालक लोकेश कुमार ने गोबर विक्रय कर अपने लिए दोपहिया वाहन खरीदा.
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महिलाओं ने अर्जित किया 67 लाख 42 हजार का लाभांश, हो रही 5 हजार रूपए तक की बचत
वर्तमान में जिले के 257 सक्रिय गोठानों में खाद निर्माण कार्य और अन्य गतिविधियों में 257 स्व.सहायता समूह जुटे हुए है. समूहों द्वारा 19 हजार 861 क्विं. वर्मी खाद और 15 हजार 885 क्विं सुपर कम्पोस्ट खाद निर्माण कर कुल 2 करोड़ 54 लाख 40 हजार रूपए मूल्य के 17 हजार 501 क्विं वर्मी खाद और 13 हजार 323 क्वि. सुपर कम्पोस्ट खाद का विक्रय किया जा चुका है. जिससे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं ने लाभांश राशि के रूप में 67 लाख 42 हजार रू. अर्जित किया है. योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन को बढ़ावा मिल रहा है.
विकासखण्ड कोटा के गोठान ग्राम शिवतराई में महामाया स्व.सहायता समूह ने 1204.43 क्विं वर्मी खाद का निर्माण और विक्रय कर 3 लाख 94 हजार रूपए लाभांश राशि के रूप में अर्जित किया साथ ही केंचुआ पालन और विक्रय से 5 लाख रूपए, सब्जी उत्पादन से 50 हजार रूपए और मशरूम उत्पादन से 20 हजार रूपए और मुर्गी पालन, बटेर पालन, बकरी पालन से लगभग 1 लाख 50 हजार रूपए का अतिरिक्त आय प्राप्त किया है. समूह की अध्यक्ष साफिन बाई ने बताया कि गोधन न्याय योजना से खाद निर्माण और विक्रय के माध्यम से जो आमदनी प्राप्त हुई, उससे अपनी रोजमर्रा की आवश्यकताओ की पूर्ति के साथ-साथ अपनी पुत्री के विवाह में खर्च किया.
विकासखण्ड मस्तूरी के गोठान ग्राम जुहली के जय बुढादेव स्व.सहायता समूह की महिलाओं द्वारा वर्मी खाद उत्पादन और विक्रय से 1 लाख 25 हजार रूपए और केचुआ पालन और विक्रय से 2 लाख रूपए की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त की गई. वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन और खेतों में उपयोग से जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम हुई है. समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन से खेती के लागत में कमी आई है जिससे लघु-सीमांत और दीर्घ कृषकों को प्रति हेक्टेयर 3 हजार रूपए से 5000 तक की बचत हो रही है.
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21 गोठान मल्टीएक्टिविटी सेंटर के रूप में विकसित, 76 गोठान स्वावलम्बन की ओर अग्रसर
जिले में संचालित गोठानों को मल्टीएक्टिवीटी सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है. वर्तमान में 21 गोठानों को मल्टीएक्टिवीटी सेंटर के रूप में विकसित करते हुए यहां बतख पालन, मुर्गी पालन, चारागाह निर्माण और चारा उत्पादन, मछली पालन, मशरूम उत्पादन, केचुआ पालन और सब्जी उत्पादन का कार्य किया जा रहा है. जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबल मिल रहा है. अब महिलाओं की अपने घर के पुरषों पर आर्थिक निर्भरता कम हुई है.
गोधन न्याय योजनान्तर्गत वर्तमान में जिले के 76 गोठान स्वावलंबन की ओर अग्रसर हो रहे है. जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और ग्रामीण आर्थिक परिवेश का बेहतर वातावरण तैयार हो रहा है. यह योजना गरीब महिलाओं, लघु सीमांत कृषकों और चरवाहों को गोबर विक्रेता के रूप में अतिरिक्त आय प्रदान कर रहा है और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रूरल इण्डस्ट्रियल पार्क के सपने को साकार करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है.
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