भोपाल। मध्यप्रदेश निर्वाचन आयोग (Madhya Pradesh Election Commission) ने पंचायत चुनाव (Panchayat Election) की तिथि जारी कर दी है। पंचायत चुनाव की तिथि जारी होने के बाद भी प्रदेश की सिसायत गर्म है। तिथि जारी होने के विरोध में कांग्रेस चुनाव आयोग कार्य प्रभारी जेपी धनोपिया (JP Dhanopia), सैय्यद जाफर समेत अन्य नेताओं ने पहले परिसीमन और आरक्षण को लेकर चर्चा करने के बाद कोर्ट जाने की बात कही थी। अब कांग्रेस ने कोर्ट जाने से इंकार कर दिया है। जेपी धनोपिया ने कहा कि कांग्रेस पार्टी (Congress Party) कोर्ट नहीं जाएगी। जो कोर्ट जाएगा उसकी मदद कांग्रेस करेगी। वहीं सूत्रों से जानकारी मिली है कि कांग्रेस के एक नेता अब भी कोर्ट जाने की मूड में हैं। और अभी भी कोर्ट जाने पर अड़े हुए हैं।
हम तो पिछले कई समय से यह माँग कर रहे है कि प्रदेश में जल्द नगरीय निकाय व पंचायत के चुनाव हो लेकिन लगता है कि सरकार इन चुनावों से डरी हुई है , वह चुनाव करवाना नही चाहती है , वह चुनावों से भाग रही है।
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) December 4, 2021
वहीं शनिवार को पंचायत चुनाव की तिथि जारी होने के बाद कांग्रेस प्रवक्ता जेपी धनोपिया ने कहा था कि राज्य निर्वाचन आयोग ने संविधानिक मंशा के विपरीत काम किया है। आरक्षण के बिना कोई भी चुनाव कोई भी मतदान नहीं हो सकता। कांग्रेस कोर्ट जा सकती है।
धनोपिया ने कहा था कि राज्यपाल ने आरक्षण, परिसीमन समाप्त करने का अध्यादेश जारी किया है। वहीं निर्वाचन आयोग के पास वैध मतदाता सूची उपलब्ध नहीं है। आरक्षण की प्रक्रिया पूरी नहीं है। सरकार चुनाव नहीं कराना चाहती उलझाना चाहती है, जो लोग दुखी होंगे न्यायालय की शरण में जाएंगे।
मध्य प्रदेश की ग्रामीण जनता आज चुनाव की घोषणा होने के बाद निराश हुई है जहां एक और 2014 में जो ग्राम पंचायत में जिस वर्ग के लिए आरक्षित थी आज वही आरक्षण पुनः लागू कर दिया गया है जिससे अन्य वर्गों के अधिकार छिन गए हैं मध्य प्रदेश सरकार का यह रवैया हिटलर शाही की तरह है@OfficeofSSC pic.twitter.com/crpl1mzub7
— Syed Zaffar (@SyedZps) December 4, 2021
कमलनाथ ने भी साधा था निशाना
पंचायत चुनाव की तिथि जारी होने के बाद पीसीसी चीफ कमलनाथ (PCC Chief Kamal Nath) ने भी शिवराज सरकार पर निशाना साधा था। कमलनाथ ने ट्विटर पर एक के एक कुल चार ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा था। कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि- हम तो पिछले कई समय से यह मांग कर रहे है कि प्रदेश में जल्द नगरीय निकाय व पंचायत के चुनाव हो लेकिन लगता है कि सरकार इन चुनावों से डरी हुई है। वह चुनाव करवाना नहीं चाहती है। वह चुनावों से भाग रही है। जब परिसीमन और आरक्षण को लेकर न्यायालय में विभिन्न याचिकाएं पहुंची है, तो आज अचानक आधे अधूरे में जल्दबाज़ी में पंचायत चुनाव की घोषणा समझ से परे है?