कोण्डागांव. स्काॅलरशिप पर यूनिवसिर्टी ऑफ चिली में शोध कर रही कोण्डागांव की बेटी नित्या पांडे को साल के अंतिम सूयर्ग्रहण का नजारा देखने व इस पर रिसर्च करने के लिए अंटाकर्टिका गई है. इसे वैज्ञानिकों के दल के साथ जाने का मौका मिला. 4 दिसबंर को हुए सूयर्ग्रहण का नजारा भले ही भारत में देखने को न मिला हो, लेकिन नित्या पांडे ने वरिष्ट वैज्ञानिकों के दल के साथ इसे देखने के साथ ही इस खगोलीय घटना को समझी.
नित्या पांडे ने बताया कि उनकी टीम पूर्ण सूयर्ग्रहण सहित अन्य विषयों पर रिसर्च करने गई थी. उसका चयन इस टीम के लिए उसी समय हो गया था, जब पीएचडी के लिए अपना इंटरव्यू दे रही थी. उसने बताया कि, उनकी टीम सूयर्ग्रहण से सप्ताहभर पहले पहुंचकर वहां सेटिंग आदि में लग गए और सूयर्ग्रहण का नाराजा इतने करीब से देखने को मिला, जिसका उसने केवल सपना देखा था. उनकी टीम भारतीय समयनुसार मंगलवार की सुबह 4 बजे सेट टयागो वापस पहुंची. वे कहती है कि, पृथ्वी के दक्षिणी धु्रव पर तो पहुंच गई, लेकिन 30 की उम्र पार करने से पहले वह उत्तरीय ध्रुव पर भी रिसर्च के संबंध में जाना चाहती है.
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कल्पना चाॅवला से हैं प्रेरित
नित्या पांडे कहती है कि, वह कल्पना चावला से काफी प्रेरित है और वह ग्रह, उपग्रहों, के साथ ही धरती पर जीवन की उत्पत्ति विषय को हमेशा से जिज्ञासा में रहती थी और आज वह इसी विषय को लेकर यूनिवसिर्टी ऑफ चिली में पीएचडी कर रही स्काॅलर है. वह कहती है कि, जो सपना देखो उसे पूरा करने के लिए खुद को प्रयास करना जरूरी है, तभी सबका साथ मिलता है. इसमें कही भी हमारी मातृभाषा रोड़ा नहीं बनती केवल हमें अपने सपने को सच करने के लिए जुझना पड़ता है. आपको बता दे कि, नित्या हिन्दी माध्यम से स्नातक तक की पढ़ाई बस्तर विवि से की और एस्ट्रोफिजिक्स से एमएससी के पीआरएसयू रायपुर से करने के बाद उसका चयन कल्पना चावला स्काॅरशिप के लिए हुआ इसके बाद से वह अपने सपनो को पूरा करने नित्य आगे बढ़ती जा रही है.
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इसरो में देना चाहती है सेवा
नित्या कहती है कि, वह अपना कोर्स पूरा करने के बाद विदेशों में काम करने के बजाय अपने देश में ही रहकर काम करने की इच्छा रखती है. उन्होंने जो सपना बचपन में चांद-सितारों को देखते हुए देखा था अब वो पूरा होने लगा है, जिसकी उसे खुशी है.
फैक्टस फाईल
- वर्ष 2017 में इंडियन इंस्टीट्यूट साइंस बैंगलोर में माईक्रोस्कोप पर रिसर्च करने गई.
- वर्ष 2018 में नैनीताल में गैलेक्सी पर रिसर्च कर चुकी है.
- वर्ष 2019 में कल्पना चावला फेलोशिप के तहत फा्रंस की इंटरनेशनल स्पेस सिटी में अध्ययन कर चुकी है.
- वर्ष 2018 में रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट बैंगलोर से इसरो के एक प्रोजेक्ट के लिए आया था बुलावा.
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