रायपुर. फिल्मों पर विवाद फिर उसकी कमाई का रिश्ता अटूट है. फिल्म पद्मावत की बात करें तो रायपुर के दर्शक भी दो धडों में बंट गए हैं. एक वो धड़ा जो इस फिल्म पर इतिहास से छेड़छाड़ को लेकर आहत हैं और दूसरा धड़ा वो जो इस फिल्म के रिलीज होने के बाद आखिर इस फिल्म में क्या विवाद है उसे सिनेमैक्स में घुसकर ही देखना-समझना चाहते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने जब फिल्म रिलीज के लिए कल की तारीख मुकर्रर कर ही दी है तो इस फिल्म के एक गाने पर जरा आज बात कर लेते हैं.

एक तरफ राजधानी में क्षत्रिय महासभा ने राजपूताना अंदाज में कह दिया है कि छत्तीसगढ़ में फिल्म रिलीज हुई तो अंजाम बुरा होगा. वही क्षत्रिय महासभा ने साफ़-साफ़ शब्दों में कह दिया है कि राजपूत समाज का धर्मपालिका देश की न्यायपालिका से ऊपर होता है. साथ ही इधर राजधानी के एसपी अमरेश मिश्रा ने फिल्म देखने वालों को पूरी सुरक्षा देने की गारंटी दी है. दो धारी तलवार के बीच यदि आपने कल फिल्म देखने का मन बना ही लिया है तो फिल्म के एक गाने पर यह अनमोल जानकारी जरुर पढ़ लीजिये.

आप जब कल फिल्म देखते हुए इतिहास के साथ कहाँ छेड़छाड़ हुई है. यह ढूंढते हुए फिल्म के अन्दर घुसते चले जाएंगे इसी बीच एक अरबी शब्दों से लबरेज शानदार गाने के आप दीवाने हो जाएंगे. कलबिया कैस वल्लाह, खली बली, हबीबी-हबीबी’ कुछ ऐसे ही शब्दों का समुच्चय ए.एम. तुराज की लिरिक्स आपको सुनाई देगी. आपको सांग पसंद आयेगा इसकी गारंटी है. अब जनाब आप इस गाने का हिंदी मतलब भी समझ लीजिये.

ये हैं गाने के बोल – कलबीया कैस वल्लाह…., कलबीया कैस वल्लाह….कलबीया कैस वल्लाह….वल्लाह…वल्लाह…हबीबी…हबीबी…हबीबी….जबसे पहना है मैंने….ये इश्क-ए सेहरा…खली बली हो गया दिल…दुनिया से मेरा….खली बली हो गया…दिल. इसका ये है शाब्दिक अर्थ – कलबीया= मेरा दिल, खली बली= बेपरवाह, बिंदास, कैस= दीवाना, आशिक, लवर, वल्लाह= कसम से, हबीबी= डार्लिंग, महबूबा, प्यारा. इन मायनों के साथ इस गाने का मतलब कुछ यूं हुआ कि..जब से मुझे तुम से इश्क़ हुआ है, कसम से मेरा दिल दुनिया से बेपरवाह हो गया है…मैं दीवाना सा हो गया हूं…मजनू हो गया हूं.

यानी हिंदी में कहें तो प्यार में अंधा हो जाना…सब कुछ भुला देना…13वीं सदी के अलाउद्दीन खिलजी पर ये गाना फिल्माया गया है, जो खिलजी वंश के दूसरे सबसे ताकतवर शासक के तौर पर जाने जाते हैं. फिल्म में उनकी ताकत के साथ रौद्र रूप दिखाया गया है. मोहब्बत के प्रति एक अलग किस्म का जुनून दिखाया गया है. जिसे इन बोल से चित्रित करने की भी कोशिश की गई है. इन गाने के बोल ए.एम तुराज ने लिखे हैं, जो यूपी के मुजफ्फरनगर जिले के रहने वाले हैं. 36 साल के तुराज इससे पहले संजय लीला भंसाली के साथ फिल्म गुजारिश और बाजीराव मस्तानी में भी गाने लिख चुके हैं. तुराज का अरब मुल्कों में काफी आना जाना है और उनके गानों में अरबी शब्दों का काफी इस्तेमाल मिलता है.