प्रतीक चौहान. रायपुर. छत्तीसगढ़ समेत देशभर के लाखों किसानों के लिए एक अलर्ट है. अलर्ट ये है कि ब्लैक थ्रिप्स (Black Thrips) उनकी पूरी तरह से फसल बर्बाद करने के लिए अपने पैर पसारने लगा है. हैरानी की बात ये है कि इसमें कोई भी दवा काम नहीं आती है.

लल्लूराम डॉट कॉम ने छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के किसानों से बातचीत की. सभी ने बताया कि जिन-जिन किसानों के खेत में शिमला मिर्च, अचारी मिर्च और हरी मिर्च की खेती हो रही है सभी किसान उसे उखाड़ने में मजबूर है और उनके पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है. दुर्ग के एक किसान दिनेश भाई जेठवा ने बताया कि ब्लैक थ्रिप्स सबसे पहले गुलाब के फूलों में देखा गया था, इस बार ये ब्लैक थ्रिप्स करेला, लौकी, भाटा, तोरई समेत अन्य सब्जियों के फूलों में देखा जा रहा है. दुर्ग के ही किसान भूपेंद्र भाई परमार ने बताया कि उन्होंने अपने खेत में मिर्च की फसल लगाई थी, जो ब्लैक थ्रिप्स की वजह से खराब हो गई और उन्होंने पूरे पौधे उखाड़ दी है.

इंडोनेशिया में पहली बार देखी गई थी Black Thrips

सैकड़ों एकड़ में खेती करने वाले एक किसान ने नाम न छापने की शर्त में जानकारी दी कि ब्लैक थ्रिप्स पहली बार इंडोनेशिया में देखी गई थी. उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश के गुंटूर के किसानों की मिर्ची की फसल पूरी तरह बर्बाद कर दी है. छत्तीसगढ़ में भी मिर्ची और शिमला मिर्ची की खेती करने वाले किसान ब्लैक थ्रिप्स से परेशान है, उन्होंने बताया कि सैकड़ों किसानों ने अपनी मिर्ची की फसल उखाड़ दी है और जितने भी किसानों ने इसे लगाया है वे उखाड़ने की तैयारी कर रहे है.

15-20 हजार एकड़ में होती है मिर्ची की खेती

छत्तीसगढ़ के कृषक और भारत शासन की सामान्य परिषद के सदस्य मितुल कोठारी ने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 15-20 हजार एकड़ में मिर्ची की खेती होती है. वहीं शिमला मिर्च की खेती भी बड़े पैमाने में होती है. कोठारी ने कहा कि हैरानी की बात ये है कि ब्लैक थ्रिप्स (Black Thrips) में कोई भी दवा काम नहीं कर रही है. उन्होंने बताया कि ब्लैक थ्रिप्स की सबसे पसंदीदा जगह फूल होता है और मिर्च के फूल झुके हुए होते है, यही कारण है कि किसानों को इसमें दवा डालने में भी परेशानी होती है. हालांकि अब तक ब्लैक थ्रिप्स में कोई दवा काम कर रही है इसके प्रमाण नहीं मिले है. उन्होंने ये भी कहा कि वे एक साइंटिस्ट के संपर्क में है और वे कुछ दवा के सैंपल उन्हें भेज रहे है जिसे वे किसानों के खेत में बतौर ट्रायल इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहे है.

150 अंडे देती है ब्लैक थ्रिप्स

एक संपन्न किसान ने लल्लूराम डॉट कॉम को बताया कि ब्लैक थ्रिप्स एक बार में 150-200 अंडे देती है और पुनः 15 दिन में अंडे देने के लिए तैयार हो जाती है और यदि बादल रहे तो 20 दिन में पुनः अंडे देने तैयार हो जाती है. उन्होंने बताया कि यदि ठंड अच्छी पड़ी तो संभव है कि कुछ किसानों की फसल बच जाएंगी, लेकिन यदि ऐसा ही मौसम रहा तो छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश के किसानों को ब्लैक थ्रिप्स पूरी तरह बर्बाद कर देगा और उनके पास अपनी फसल पूरी तरह उखाड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा.

किसानों के खेत में तैयार हो गई है फसल

किसानों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में मुख्यतः अगस्त और सितंबर के महीने में मिर्च, शिमला मिर्च और अचारी मिर्च की फसल लगाई जाती है. यही कारण है कि दिसंबर महीने के अंत तक पूरी तरह फसल तैयार हो जाती है. फरवरी और मार्च के अंत तक फसल पूरी तरह खत्म हो जाती है. इसके बाद पेड़ उखाड़ दिए जाते है.

तो क्या लौकी और कुम्हड़ा भी करेगा किसानों को परेशान

एक किसान ने बताया कि जिन किसानों ने अपने खेतों में मिर्ची या शिमला मिर्च लगाई है वो ब्लैक थ्रिप्स की वजह से उसे खड़ रहे है. लेकिन इसके बाद संभवतः वे अपने खेतों में अभी के समय के हिसाब से लौकी या कुम्हड़ा लगा सकते है. ऐसे में अचानक बड़े पैमाने में इसकी खेती होगी और मार्केट में ज्यादा आवक होने के कारण इसके दाम इस बार काफी कम होने की उम्मीद है.