नई दिल्ली। CBSE ने 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा के तहत 11 दिसंबर को अंग्रेजी का टेस्ट आयोजित किया गया था. अंग्रेजी की इस परीक्षा में महिलाओं को लेकर लिखे गए एक पैराग्राफ पर कई संगठनों ने अपनी सख्त आपत्ति दर्ज की है. महिला संगठनों के साथ-साथ राजनीतिक दलों ने भी इसे महिलाओं के लिए आपत्तिजनक करार दिया. इस विरोध के बाद अब सोमवार को CBSE ने विवादास्पद पैराग्राफ को परीक्षा से हटाने लेने का फैसला लिया है. इस पैराग्राफ के बदले सभी छात्रों को पूरे अंक प्रदान किए जाएंगे.
ये लिखा था पैराग्राफ में
दरअसल CBSE ने अपने एक पैराग्राफ में कुछ इस तरह की बातें लिखीं, जिनसे यह दर्शाया गया कि पत्नी को पति की हर आज्ञा का पालन करना चाहिए. इस पैराग्राफ में लिखा गया है कि महिलाओं की स्वतंत्रता ने बच्चों पर अभिभावकों यानी माता-पिता के अधिकार को समाप्त कर दिया है और महिलाएं बतौर पत्नी अपने पति के तौर-तरीकों को मानते हुए ही एक मां के रूप में सम्मान हासिल कर सकती हैं. साथ ही इस पैराग्राफ में कहा गया है कि पत्नियां अपने पति की कही गई बातें नहीं मानती, जिसके कारण बच्चे अनुशासनहीन हो रहे हैं, यह सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं का एक प्रमुख कारण है.
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IIT मद्रास की छात्रा रह चुकी लक्ष्मी रामचंद्रन ने कहा कि यह अपमानजनक रूप से निर्थक पैराग्राफ है. 10वीं CBSE बोर्ड परीक्षा के पेपर में ये दिखाई दिया. हम अपने बच्चों को क्या पढ़ा रहे हैं, सीबीएसई को स्पष्टीकरण देना होगा और हमारे बच्चों को इसके लिए उकसाने के लिए माफी मांगनी होगी. CBSE द्वारा प्रश्न पत्र में इस तरह का पैराग्राफ देने का कई लोगों ने विरोध किया है. खुद कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी ने भी इस पर आपत्ति दर्ज करते हुए सीबीएसई बोर्ड के प्रश्न पत्र को सोशल मीडिया पर साझा किया है. सोमवार को सीबीएसई ने अपनी भूल का सुधार किया है. सीबीएसई बोर्ड द्वारा आधिकारिक तौर पर इस पैराग्राफ को वापस लेने का निर्णय लिया गया है. इसके साथ ही सीबीएसई ने एक आधिकारिक संदेश जारी किया है. दसवीं कक्षा की अंग्रेजी परीक्षा में प्रश्न पत्र में शामिल एक प्रश्न बोर्ड के दिशा-निर्देशों के अनुसार नहीं है, इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि प्रश्न को छोड़ दिया जाए और इस प्रशन के लिए छात्रों को पूरे अंक दिए जाएं.
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इससे पहले भी सीबीएसई की इन परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों को लेकर विवाद हो चुका है. 12वीं कक्षा की समाजशास्त्र की बोर्ड परीक्षा में छात्रों से गुजरात दंगों को लेकर विवादास्पद प्रश्न पूछा गया था. परीक्षा के बाद सीबीएसई ने इस पर खेद जताते हुए भूल स्वीकार की और जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही थी. एमसीक्यू बेस्ड एग्जाम में छात्रों से प्रश्न किया गया था कि गुजरात में वर्ष 2002 में हिंसा किस पार्टी की सरकार में हुई. इसके लिए छात्रों के समक्ष चार विकल्प दिए गए थे- कांग्रेस, बीजेपी, डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन. बोर्ड परीक्षा में आए इस प्रश्न के लिए अब सीबीएसई का कहना था कि यह उनके द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है. सीबीएसई का कहना है कि प्रश्न पत्र तैयार करने से पहले ही यह तय किया गया था कि प्रश्न केवल संबंधित कक्षा के सिलेबस के आधार पर होंगे. मूल विषयों से हटकर अलग न जाने के दिशा-निर्देश जारी किए गए थे.
पहले भी सीबीएसई में हो चुके हैं कई विवाद
गौरतलब है कि सीबीएसई बोर्ड द्वारा दसवीं और बारहवीं कक्षा के लिए यह पहले चरण की बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करवाई गई थीं. कोरोना के कारण इस बार बोर्ड परीक्षाएं दो चरणों में आयोजित करवाई जा रही हैं. पहले चरण की बोर्ड परीक्षाएं ली जा चुकी हैं. वहीं दूसरे चरण की बोर्ड परीक्षाएं अगले वर्ष मार्च-अप्रैल में ली जाएंगी.
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