प्रतीक चौहान. रायपुर. रेल मंडल के डीआरएम यदि बीमार होते है तो रेलवे अधिकारी आनन-फानन में एक बड़े अस्पताल से अपना टाई-अप कर वहां उनका इलाज करवाते है. वहां नियमों के विरूद्ध रेलवे की नर्से दिन-रात ड्यूटी करती है. लेकिन जब बात रेलवे कर्मचारियों के इलाज की हो तो मानो ऐसे लापरवाही बरतते है जैसे रेलवे कर्मचारी उनके परिवार का हिस्सा नहीं.
ये अपने आप में शर्मनाक बात है कि रायपुर रेल मंडल ने कोरोनाकाल में आइसोलेशन कोचें बनाई. इन कोचों की संख्या 55 है और इसे बनाने में खर्च 17 लाख 79 हजार 318 रूपए का आया. लेकिन ये कोचें केवल शो पीस बनकर रह गई. क्योंकि इस कोच का लाभ सामान्य लोगों को तो छोड़िए रेल कर्मचारियों और उनके परिवार जनों को भी नहीं दिया गया.
ये बातें हम नहीं कह रहे है. इसका खुलासा आरटीआई से मिली जानकारी से हुआ है. आरटीआई एक्टिविस्ट कुणाल शुक्ला (Kunal Shukla) ने रायपुर रेल मंडल से उपरोक्त जानकारी मांगी थी. रायपुर रेल मंडल ने ये जानकारी दी है कि 55 कोचें तैयार की गई थी, जिसमें अनुमानित करीब 18 लाख रूपए खर्च हुए, लेकिन इसमें एक भी मरीज को नहीं रखा गया और ये कोचें वर्तमान में दुर्ग कोचिंग डिपो में खड़ी है.
हालांकि रायपुर रेल मंडल के सूत्र बताते है कि इन कोचों को बनाने का आदेश रेलवे बोर्ड से प्राप्त हुआ था, लेकिन इन्हें इस्तेमाल कैसे और कहा करना है ये आदेश मंडल को प्राप्त नहीं हुआ. यही कारण है कि इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सका.
देखिए कैसे रायपुर रेल मंडल ने बनाई गई है ये आइसोलेशन कोच
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