रायपुर. छत्तीसगढ़ राज्य जैवविविधता बोर्ड द्वारा दिनांक 24.12.2021 को टीसीएच अरण्य भवन नया रायपुर में एक दिवसीय सेमीनार Rock Art Conservation in Global Prospective विषय पर आयोजित किया गया. इस सेमीनार में प्राचीन शैल चित्र विषय की जानकारी एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विशेषज्ञ डॉ. श्रीमती मिनाक्षी दुबे पाठक मुख्य वक्ता थीं. इस एक दिवसीय सेमीनार के मुख्य अतिथि राकेश चतुर्वेदी प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख तथा पीव्ही नरसिंग राव प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) थे. साथ ही छत्तीसगढ़ में जिन-जिन वन क्षेत्रों में शैल चित्र विद्यमान हैं, वहां के मैदानी अधिकारी एवं कर्मचारियों के द्वारा सेमीनार में सहभागिता की गयी.
डॉ. श्रीमती मिनाक्षी दुबे पाठक द्वारा बताया गया कि छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित शैल चित्र/गुफा चित्र अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हैं एवं इनके संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में कार्य किया जाना अत्यंत आवश्यक है. उनके द्वारा बताया गया कि छत्तीसगढ़ राज्य के कांकेर, कोरबा, रायगढ़ एवं धरमजयगढ़ वनमंडल में पुरातन कालीन शैल चित्र एवं गुफा चित्र प्रचुरता में उपस्थित हैं, जो 10 हजार वर्ष से भी अधिक पुराने हो सकते हैं.
छत्तीसगढ़ के उक्त शैल चित्रों को उकेरने में प्राकृतिक पदार्थों का इस्तेमाल किया गया है. ये शैल चित्र एवं गुफा चित्र यदि सही तरीके से सहेजे एवं संरक्षित किये जाये तो छत्तीसगढ़ इस क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण पर्यटन एवं पुरातात्विक क्षेत्र के रूप में स्थापित हो सकता है.
मुख्य अतिथि राकेश चतुर्वेदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि वन अधिकारियों के तौर पर इन प्राकृतिक शैल चित्रों एवं गुफा चित्रों का संरक्षण एवं संवर्धन हमारी जिम्मेदारी है, क्योंकि अधिकतर शैल चित्र एवं गुफा चित्र वन क्षेत्रों में ही स्थित है. उक्त स्थलों के संरक्षण से भावी पीढ़ी को हम अपनी पुरातन संस्कृति एवं सभ्यता तथा जैवसांस्कृतिक विविधता से अवगत करा सकेंगे.
इस विषय में उन्होंने संबंधित अधिकारियों को समयबद्ध योजना बनाकर इनके संरक्षण एवं संवर्धन के कार्यों को संपादित करने हेतु कार्यवाही प्रारंभ करने कहा गया. इस अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य जैवविविधता बोर्ड के सदस्य सचिव अरूण कुमार पाण्डेय द्वारा कहा गया कि राकेश चतुर्वेदी प्रधान मुख्य वन संरक्षक, एवं वन बल प्रमुख जो छत्तीसगढ़ राज्य जैवविविधता बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं, के मार्गदर्शन में उक्त स्थलों का संरक्षण संवर्धन कार्य गंभीरतापूर्वक समय सीमा में पूरा कराया जायेगा.