प्रतीक चौहान. रायपुर. एक तरफ तो रायपुर रेल मंडल की आरपीएफ (RPF) स्टॉफ की कमी होने का दुखड़ा रोती है. लेकिन दूसरी तरफ रायपुर पोस्ट का हाल ये है कि यहां एक नहीं… दो-दो टास्क टीमें काम कर रही है, यानी इसके दो-दो प्रभारी मौजूद है.
सूत्र बताते है कि एक टीम में एक प्रभारी (सब इंस्पेक्टर) के अधीन दो और दूसरे प्रभारी के अधीन तीन स्टॉफ है. लल्लूराम डॉट कॉम के पास मौजूद सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एक सब इंस्पेक्टर की पोस्टिंग बीएमवॉय आरपीएफ पोस्ट में है. जबकि उन्हें टास्क टीम का प्रभारी रायपुर पोस्ट में नियुक्त किया गया है.
सूत्र बताते है कि टास्क टीम में से कुछ खास लोगों को स्पेशल ड्यूटी कराई जा रही है. हालांकि ऐसी ही एक स्पेशल ड्यूटी का खामियाजा पिछले दिनों एक आरक्षक को भुगतना पड़ा था और अधिकारियों द्वारा कराई जाने वाली के बाद भी उन्हें यही ड्यूटी करने की सजा मिली और ड्यूटी कराने वाले जिम्मेदार उच्च अधिकारियों के सामने खामोश रहे. लेकिन अब अधिकारियों ने स्पेशल ड्यूटी कराने का तरीका थोड़ा बदल दिया है. हालांकि बिलासपुर डिवीजन में भी दो टास्क टीम प्रभारी पदस्थ है, लेकिन डिवीजन बड़ा और दो अलग-अलग रूट की रेल लाइन होने के कारण ये निर्णय लिया गया है. लेकिन रायपुर रेल मंडल में इससे पहले कभी दो-दो टास्क टीम प्रभारियों की जरूरत नहीं देखी गई है.
… तो क्या बढ़ गए पॉकिटमार, या थम गई चोरी ?
भले रायपुर पोस्ट में दो-दो टास्क टीम के प्रभारी नियुक्त किए गए हो. लेकिन इससे न तो रायपुर रेलवे स्टेशन में पॉकिटमार कम हुए है न रेलवे स्टेशन में यात्रियों के मोबाइल चोरी की वारदातें. इतना ही नहीं दो-दो टास्क टीम प्रभारी होने के बावजूद भी रायपुर रेलवे स्टेशन में अवैध वेंडरों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है.
आलम ये है कि टास्क टीम के स्टॉफ जैसे ही अवैध वेंडरों को देखते है वो अपनी नजरें दूसरी तरफ घुमा लेते है. रही बात अवैध वेंडरों पर केस करने की तो इसके पीछे का फंडा किसी से छिपा नहीं है.