शशि देवागंन, राजनादंगांव. श्रम विभाग का एक अनोखा कारनामा सामने आया है. जिसमें एक व्यक्ति को फोन करके विभाग ने उसकी ही मौत के बाद अंत्येष्टि के लिए दिये जाने वाली राशि ले जाने की बात कही है. इस फोन के आते ही उस व्यक्ति के होश उड़ गये. इस घटना के बाद से ही इस व्यक्ति का बुरा हाल है और अब वह अपने आप को जीवित घोषित करने के लिए दरदर की ठोकरे खाने को मजबूर है. लेकिन उसके बाद भी इस जिन्दा व्यक्ति को विभाग दस्तावेज में जिन्दा मानने को तैयार नहीं है.

मामला जिले के ग्राम पंचायत नवागांव मुढीपार का है. यहां के रहने वाले 51 वर्षीय छन्नू साहू के पास कुछ समय पहले श्रम विभाग के एक अधिकारी का फोन आया कि छन्नू साहू के आप रिश्तेदार है क्या. जिसकी सामान्य मौत के बाद श्रम विभाग में पंजीकृत श्रमिक की प्रोत्साहन राशि 30 हजार रूपये दी जानी है. फोन के आते ही छन्नू के होश ही उड़ गये. उसने इस बात की शिकायत सभी संबंधित अधिकारियों से की. छन्नू ने इन अधिकारियों से गुहार लगाई की वह जिन्दा है और उसे जिन्दा माना जाये. लेकिन उसके बाद भी अब ​तक इन अधिकारियों ने छन्नू को दस्तावेज में जिन्दा नहीं दर्शाया है.

जब इस पूरे मामले की पड़ताल लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने की तो पता चला कि इस पूरे खेल के पीछे मामला मौत के ​बाद मिलने वाली राशि को हड़पने का है. मामले की छानबीन के दौरान यह बात सामने आई है कि छन्नू साहू का मृत्यु प्रमाण पत्र ना तो ग्राम पंचायत से जारी किया है और ना ही मृत्यु प्रमाण पत्र पर ग्राम सचिव के हस्ताक्षर है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर यह प्रमाण पत्र किसने जारी किया.

इतना ही नहीं इस प्रमाण पत्र के आधार पर श्रम विभाग ने छन्नू साहू के नाम पर श्रमिक पंजीयन प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया. मृत्यु के बाद मिलने वाली 30 हजार रूपये की राशि को भी तत्काल स्वीकृत कर दिया. मामले की जब आगे पड़ताल की गई तो पता चला कि आन्ध्रा बैंक में एक खाता भी होना पाया गया. जिसमें छन्नू की जगह बीजे लाल और पत्नी के नाम की जगह छन्नू की ही पत्नी तीजीया बाई का नाम लिखा गया था. जो हमारी पडताल में बलौदा बाजार का एकाउन्ट नम्बर 199810100049680 निकला.

मामला के प्रकाश में आने के बाद कलेक्टर भीमसिंह इस पूरे मामले की जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई किये जाने की बात कही है. साथ ही दिये गये दस्तावेजों के आधार पर छन्नू को जल्द जिन्दा घोषित करने का भी आश्वासन कलेक्टर ने दिया है.

इस पूरे मामले को देखने के बाद तो यही लगता है कि हो न हो इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने के लिए कोई बड़ा गिरोह काम कर रहा है. जिसमें संबंधित विभागों के अधिकारियों सहित बैंक के कुछ अधिकारियों के भी मिले होने की आशंका है. जिनकी मिली भगत से जिन्दा व्यक्ति को मृत बताकर मृतकों को मिलने वाली राशि का गबन किया जा रहा है.

गौरतलब है कि जिले में लगभग 75 हजार लोगों को साल 2010 से लेकर अब तक श्रमिक कार्ड जा​री किया जा चुका है. जिसमें से 2154 श्रमिकों की मौत हो चुकी है. श्रम विभाग द्वारा पंजीकृत हितग्राहियों का सामान्य मौत पर 30 हजार रूपये और दुघर्टना में मौत पर 1 लाख रूपये देता है.ऐसे मे यदि प्रत्येंक मृतक के हिसाब से 30 हजार रूपये के का भी भुगतान किया गया होगा तो अब ​तक विभाग ने करीब साढ़े छ:करोड़ रूपये की राशि वितरित की जा चुकी है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि इस राशि में कितने मृतक के परिवारों को और कितने फर्जीवाड़ा करने वाले लोगो भुगतान किया गया है.