पंकज सिंह भदौरिया, दंतेवाड़ा. बिना शौचालय के तो कई आंगनबाड़ी केन्द्र देखे होंगे, लेकिन क्या आपने शौचालय से छोटा आंगनबाड़ी केन्द्र देखा है और यदि नहीं देखा तो आईये हम बताते हैं कि शौचालय से छोटा आंगनबाड़ी कहां है.

हम बात कर रहे है दंतेवाड़ा के विकासखंड कुआंकोंडा के ठोंगठीकरा पारा की. जहां 2 बाई 2 के शौचालय से भी छोटा है आंगनबाड़ी. इस आंगनबाड़ी की स्थिति का अंदाजा आप इन तस्वीरों को देखकर बखूबी लगा सकते हैं. ऐसा नहीं है कि इस बात की जानकारी संबंधित विभागों को नहीं दी गई है, जानकारी देने के बाद भी विभाग ने अब तक इस आंगनबाड़ी की सुध नहीं ली है.

आदिवासी क्षेत्रों में एकीकृत महिला बाल विकास की योजना की यह तस्वीरें पोल खोल रही है. महिला बाल विभाग परियोजना कार्यालय से महज 2 किलोमीटर दूर स्थित इस आंगनबाड़ी में वर्षो से कोई भवन नहीं है. जिसके चलते नौनिहालों को पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर होना पड़ रहा है.

मजेदार बात ये है कि इस केंद्र की कार्यकता सरिता कोर्राम ने एक भवन अपने वेतन से बनाया है. जिससे बच्चों को सरकार की तरफ से मिलने वाली योजनाओं के पूरक पोषण आहार, गर्म भोजन का सामान, खेलकूद का सामान रखा जा सके. वहीं विभाग के तमाम जबाबदार अधिकारी आज तक कभी इस केंद्र की सुध लेने नहीं पहुंचे हैं. जबकि कार्यकता ने केंद्र के हालात के बारे में कई बार ऊपर बैठे अधिकारियों को अवगत कराया है.

केंद्र की कार्यकर्ता सरिता कोर्राम ने बताया 8 वर्षो से ये हालात है. मजबूरी में केंद्र ऐसे जगह चलाना पड़ रहा है. जब विकासखण्ड मुख्यालय से महज चन्द कदमों की दूर स्थित आंगनबाड़ी का ये हाल है. तो पूरे विकासखण्ड के 154 केंद्रों की आंगनबाड़ी का क्या हाल होगा. जिसका अंदाज़ा बखूबी लगाया जा सकता है.

इस मामले को लेकर जब लल्लूराम डॉट कॉम के संवाददाता ने कुआकोंडा परियोजना अधिकारी और जिला परियोजना अधिकारी से मिलने उनके कार्यालय पहुंचे तो कार्यालय से ये अधिकारी नदारत दिखे. बाद में फोन पर चर्चा के दौरान कुआकोंडा के परियोजना अधिकारी ने कहा मैं नया आया हूँ, अभी मुझे जानकारी नहीं है. वही जिला कार्यक्रम अधिकारी अजय शर्मा ने कहा कि मैं स्वयं विजिट करूँगा.