कांगो (DR Congo) में सरकारी सैनिकों और विद्रोहियों के बीच लगभग दशकों से संघर्ष जारी है. इस लड़ाई में अगर किसी को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ी है, तो वे यहां की महिलाएं (Women Rape in Congo) हैं. औरतों के लिए ये स्थिति इतनी ज्यादा भयावह है कि उनकी कोई सुनने वाला भी नहीं है.

महिलाओं के हालात इस देश में ऐसे होते हैं कि अगर वे किसी परेशानी में हैं तो अपनी बात कहने का उनके पास कोई मंच तक नहीं है. न तो कांगो के सैनिक और न ही वहां की पुलिस उनकी बात सुनती है. यहां तक कि रेप पीड़ित महिलाओं को अपने परिवार की तरफ से भी सहयोग नहीं मिलता. ऐसे में उनकी ज़िंदगी किसी नर्क से कम नहीं होती.

हर घंटे 48 महिलाओं का रेप
महिलाओं के लिए सर्वाधिक असुरक्षित जगह के तौर पर पहचाने जाने वाले कांगो में जब युद्ध जनित अपराध चरम पर थे, तो यहां हर दिन 1152 महिलाएं रेप की शिकार हो रही थीं. ये दर हर घंटे में 48 महिलाओं के रेप के बराबर थीं. खुद संयुक्त राष्ट्र ने माना था कि कांगो में एक साल के अंदर 16,000 महिलाओं का बलात्कार होता है.

हालांकि असल संख्या इससे कहीं ज्यादा होने की बात कही जा रही है. कांगों की आबादी 10 करोड़ के लगभग है, जो आकार में पश्चिमी यूरोप के बराबर है. यहां कई दशकों से युद्ध चल रहा है और यहां के जंगल लड़ाकों से भरे हुए हैं. ये लड़ाके प्रतिद्वंदी समुदायों को खत्म करने के लिए रेप का सहारा लेते हैं.

पुलिस, सेना सब है महिलाओं के खिलाफ
यहां महिलाओं के साथ-साथ बच्चियों को भी प्रॉस्टीट्यूशन में धकेल दिया जाता है. ये ज्यादातर वे बच्चियां होती हैं, जो बेघर रहती हैं. रेप का शिकार हुई महिलाओं से जब पूछा गया कि आखिर वे पुलिस से शिकायत क्यों नहीं करतीं? इस पर उनका जवाब था कि पुलिस के पास जाने का मतलब है एक बार फिर रेप का शिकार होना.

डियरभ्ला ग्लिन ने वॉर अगेंस्ट वीमेन नाम से एक डॉक्यूमेंट्री बनाई. उनके मुताबिक रात में गांवों पर हमला करके विद्रोही खाना और महिलाओं-लड़कियों की इज्ज़त लूटना आम बात है. पीड़ित महिलाओं को शिकायत के बाद भी शोषण का भय होता है.

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