रायपुर. छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता राजेश बिस्सा ने केंद्र सरकार के बजट ने रोजगार की आशा लगाये युवाओं के सपनों को चूर चूर कर दिया है. यह बजट कागजी जुमलेबाजी में भी असफल हुआ है. जिस देश में स्वीकृत सरकारी नौकरियों की संख्या एक करोड़ से उपर हैं, वहां उन पदों को भरने का ही प्रावधान कर लिया जाता. तो युवाओं की बेरोजगारी दर में तो कमी आती ही. साथ ही यह सब नौकरियां शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण विषयों से जुड़ी हुई हैं पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता. छात्र व युवाओं की तरह इस बजट ने मध्यम वर्गीय लोगों की आशाओं पर भी कुठाराघात किया है. सेस में बढ़ोत्तरी व इनकम टैक्स में किसी भी तरह की राहत ना देना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है. इससे नौकरी पेशा व मध्यम आय वर्ग के भारतीयों को बढ़ती महंगाई की मार झेलने में मुश्किलें आयेंगी. मोदी सरकार के इस अंतिम पूर्णकालिक बजट से मंदी व महंगाई के मार से आहत आम भारतीय और प्रताड़ित व प्रभावित होगा. आसमान छूते रसोई गैस के दामों को घटाने की दिशा में कोई प्रावधान न होने से सभी वर्गों को निराशा हुई है.

बिस्सा ने कहा की न्यू इंडिया, मेक इंडिया, स्किल इंडिया जैसे अनेकानेक शब्दों के द्वारा देशवासियों को छलने का प्रयास करने वाली मोदी सरकार के इन नारों की पूर्ती करने वाली बातें बजट में कहीं नहीं दिखी. कैसे बनेगा भारत ? कैसे बढ़ेगा भारत ? की तस्वीर की दिशा में सरकार के कदम बढ़ते हुए नहीं दिखे. यह बजट भविष्य के भारत की तस्वीर शाईन नहीं बल्कि धूंधली ही करेगा. डिजिटाईजेशन जैसे बड़ी बड़ी बातें करने वाली व उस दिशा में रोज नये नये नियम कायदे लाने वाली सरकार इतना भी नहीं सोच सकी की भारत की आबादी का बहुतायत हिस्सा ग्रामीण अंचल में रहता है. नब्बे प्रतिशत गांवों में ना बैंक है, ना एटीएम और ना ही पोस्ट आफिस. छत्तीसगढ़ के हालात तो और दुभर हैं. इस राहत देने की दिशा में वह बजटीय प्रावधानों में असफल रही है.

बिस्सा ने कहा की बैंकों द्वारा नित नये प्रावधान कर जिस तरह के शुल्क वसूले जा रहे हैं व निरंतर जमा पूंजी पर घटती ब्याज दरों के द्वारा लोगों की जेबें काटी जा रही है उस पर सरकार के मौन ने देशवासियों को आहत किया है. कुल मिलाकर केंद्र सरकार ने आम जन-मानस को बजट के माध्यम से ठगने का उपक्रम किया है जिसका जवाब जनता आने वाले चुनावों में देगी.