पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद. जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुनियादी ढांचा कितना मजबूत है यह बताने की जरूरत नहीं है. गंभीर बीमारी तो दूर सामान्य बीमारी के इलाज के लिए भी जिलेवासियों को रायपुर की दौड़ लगानी पड़ती है. ऐसे में यदि शासन से जिले की स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जारी फंड लैप्स हो जाए तो यह जिलेवासियों के लिए “कंगाली में आटा गिला” जैसी कहावत साबित होगी.
जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी एनआर नवरत्न ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला मुख्यालय में 100 बिस्तर के अस्पताल के लिए स्वीकृत राशि लैप्स हो गई है. उन्होंने बताया कि 27 सितंबर 2019 को 8 करोड़ की राशि स्वीकृत हुई थी, जिसकी प्रशासनिक स्वीकृति भी मिल चुकी थी और अब यह राशि लैप्स हो चुकी है. उन्होंने राशि लैप्स का कारण समय पर जमीन उपलब्ध न कराने की बात कही.
जिला मुख्यालय गरियाबंद और उससे जुड़े गांवों में पर्याप्त मात्रा में शासकीय जमीन उपलब्ध होने के बावजूद भी स्थानीय प्रशासन जिला अस्पताल के लिए जमीन मुहैया कराने में नाकाम साबित रहा. जिला प्रशासन ही क्यों उन तमाम जनप्रतिनिधियों और राजनेताओं की उदासीनता से भी इंकार नहीं किया जा सकता.
हमने ऐसे तमाम नेताओं से चर्चा करने की कोशिश की जो जिला अस्पताल बनाने के मामले को प्रभावित कर सकते थे. इन सभी से बात करने पर जो जानकारी हाथ लगी वह भी चौकाने वाली है.
राजिम विधायक अमितेष शुक्ल ने राशि लैप्स मामले को लेकर कहा कि उनको इसकी जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि यह गंभीर मामला है. उनके संज्ञान में यह मामला अभी आया है. वे तत्काल इस मामले में कलेक्टर से चर्चा करेंगे और दोषियों पर कार्रवाई अवश्य करवाने की बात कही.
बिंद्रानवागढ़ विधायक डमरूधर पुजारी ने भी इस मामले की जानकारी नहीं होने की बात कही है. उन्होंने बताया कि जीवनदीप समिति की बैठक में अधिकारियों ने 100 बिस्तर अस्पताल बनने की जानकारी दी थी, लेकिन अब उसकी राशि लैप्स हो गई है इसकी जानकारी किसी ने उन्हें नहीं दी.
कांग्रेस के जिलाध्यक्ष भावसिंह साहू ने इसे बेहद दुखद बताया. उन्होंने कहा कि यदि ऐसा हुआ है तो यह प्रशासनिक लापरवाही और अधिकारियों की कमजोरी है. उन्होंने भरोसा दिलाया कि इस मामले पर वे विधायक अमितेष शुक्ल और प्रभारी मंत्री अमरजीत भगत से चर्चा करेंगे.
भाजपा जिलाध्यक्ष राजेश साहू ने इसे सरकार की नाकामी बताया है. उन्होंने कहा कि हॉस्पिटल बनने से जिले के लोगों को फायदा मिलता, लेकिन सरकार की लापरवाही के कारण ऐसा नहीं हो सका. उन्होंने राज्यपाल से मिलकर 100 बिस्तर जिला अस्पताल के लिए पुनः राशि रिवाइज की मांग करने की बात कही है.
गरियाबंद एसडीएम विश्वदीप ने बताया कि डोंगरीगांव में 25 से 30 एकड़ जमीन की अग्रिम अधिपत्य स्वास्थ्य विभाग को दिसंबर में दे दिया गया था, चूंकि इसकी प्रक्रिया लंबी चली थी. बजट की मांग दोबारा की गई है.
100 बिस्तर अस्पताल जिला मुख्यालय गरियाबंद के लिए स्वीकृत हुआ था. जमीन उपलब्ध नहीं होने से राशि लैप्स हो गई, चूंकि पालिका क्षेत्र में जमीन आबंटन में पालिका की एनओसी अनिवार्य है, इसलिए नगरपालिका का इस विषय पर तर्क जानना अनिवार्य था. पालिकाध्यक्ष गफ्फू मेमन ने बताया कि उनके कार्यकाल के दौरान अस्पताल के लिए जिला प्रशासन से जमीन आबंटन का कोई मांगपत्र पालिका को प्राप्त नहीं हुआ है.
इन तमाम नेताओं से चर्चा के बाद एक समान बात सामने आई कि राशि लैप्स होने की जानकारी जिले के इन बड़े नेताओं में से किसी को भी नहीं थी. न ही कोई नेता ये बताने में सफल हुआ कि 100 बिस्तर अस्पताल को बनवाने में उनके द्वारा कितना प्रयास किया गया. हालांकि अब एक बार फिर सभी नेताओं ने जिला मुख्यालय में 100 बिस्तर अस्पताल के लिए आवाज उठाने का भरोसा दिलाया है.
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