सत्यपाल सिंह राजपूत. रायपुर. राजधानी रायपुर समेत पूरे प्रदेश में कोरोना विस्फोट रोजाना हो रहे है. आज केवल राजधानी रायपुर के जो मरीजों के आंकड़े मिले है वो बेहद चौंकाने वाले है.
स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते है कि आज पॉजिटिव मरीजों की संख्या केवल राजधानी की 1600 से अधिक है. हालांकि इसमें ज्यादातर वहीं लोग है जिनके परिवार में पहले से कोरोना संक्रमित मिले थे. आपको बतातें चले कि कोरोना का ओमीक्रोन स्वरूप अब नए रूपों में बंटकर ज्यादा ताकतवर बनता जा रहा है. ओमीक्रोन (बी.1.1.529) स्वरूप के तीन उपरूप( सब-वेरिएंट) बीए.1, बीए.2 और बीए.3 विकसित हो गए हैं. ओमीक्रोन के फैलाव पर नजर रखने वाले भारतीय वैज्ञानिकों का कहना है कि देश में बीए.1 उपरूप ने तेजी से फैलकर डेल्टा स्वरूप की जगह लेनी शुरू कर दी है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे प्रमाण नहीं मिले हैं जिससे यह कहा जा सके कि ओमीक्रोन के मुकाबले उसके उपरूप ज्यादा घातक संक्रमण फैलाते हैं.
ओमीक्रोन से भी तेज फैलते इसके उपरूप
डिपार्टमेंट ऑफ इंडियन सार्स-कोव-2-जिनोमिक कंसोर्टियम से जुड़े एक वैज्ञानिक के हवाले से बताया गया है कि देश में ओमीक्रोन से भी ज्यादा तेजी से बीए.1 उपरूप फैल रहा है. संस्थान देशभर में जितने नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग कर रहा है, उसमें ओमीक्रोन के बजाय बीए.1 उपरूप मिल रहे हैं. चूंकि यह ओमीक्रोन का ही एक उपरूप है इसलिए इसके गुण मूल स्वरूप जैसे ही हैं.
तीसरे उपरूप के प्रमाण नहीं
कोरोना के ओमीक्रोन स्वरूप के दो उपरूप तो देश में तेजी से फैल रहे हैं पर अबतक हुई एक भी जीनोम सीक्वेसिंग से तीसरी उपरूप का पता नहीं लग पाया है.
बंगाल में बीए.2 उपरूप फैला
ओमीक्रोन के दूसरे उपरूप बीए.2 के सबसे ज्यादा मामले कोलकाता में सामने आ रहे हैं. कोलकाता से जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे जा रहे 80 नमूनों में ओमीक्रोन का दूसरा उपरूप मिल रहा है. इस उपरूप का आरटीपीसीआर जांच से पता नहीं लगाया जा सकता.
महाराष्ट्र में तेजी से फैल रहा बीए.1
जीनोम सीक्वेंसिंग करने वाले भारतीय वैज्ञानिक का दावा है कि बीए.1 उपरूप बहुत तेजी से महाराष्ट्र व कई अन्य राज्यों में फैल रहा है. साथ ही इस उपरूप ने डेल्टा स्वरूप की जगह लेनी शुरू कर दी है जो कि दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार था.
शुक्र है, बच्चों को नहीं छू पा रहा कोरोना संक्रमण
नए साल में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. तीसरी लहर में बच्चों को सबसे ज्यादा खतरे का अंदेशा जताया गया था. लेकिन, राहत की बात यह है कि देश में कोरोना पीड़ित बच्चों की संख्या काफी कम है. जिस तेजी से मरीजों की संख्या बढ़ रही है उससे विशेषज्ञ भी हैरान हैं. विशेषज्ञ तीसरी लहर आने का अंदेशा काफी पहले से जता रहे थे. इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा था कि तीसरी लहर बच्चों के लिए ज्यादा घातक होगी. लेकिन सतर्क रहने की जरूरत है.