कुमार इंदर, जबलपुर। MP पंचायत चुनाव में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court)  से OBC वर्ग को राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण ट्रिपल टेस्ट के आधार पर देने का फैसला सुनाया है। वहीं आरक्षण पर चुनाव कराना होगा तो सरकार को गवली वाले केस को अपनाना होगा। सुनवाई के साथ ही मामले में सुप्रीम कोर्ट में लगी सभी याचिका निराकरण हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार की दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। 

पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर शिवराज सरकरा ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जो अध्यादेश लागू किया गया था, उसे वापस ले लिया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि 2010 में दिए कृष्णामूर्ति मामले में दिए आदेश के तहत ओबीसी आरक्षण तय किया जाए।

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सैयद जाफर ( Congress spokesperson Syed Jaffer) ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मध्यप्रदेश सरकार ने स्वीकार किया है कि बिना रोटेशन का जो अध्यदेश लाया था वो गलत था। सुप्रीम कोर्ट में आज सरकार ने माफी भी मांगी। संविधान के दायरे में अब सरकार रोटेशन और नया आरक्षण कर पंचायत चुनाव करवाए।

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क्या है ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया

दरअसल महाराष्ट्र में निकाय चुनाव को लेकर भी इसी तरह का एक फंसा हुआ था जिसमें सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने फैसला सुनाते हुए ओबीसी आरक्षण को निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया था सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि निकाय चुनाव में ओबीसी को रिजर्वेशन भेजना है तो उन्हें ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया से गुजरना होगा …
1‌ ओबीसी वर्ग को आरक्षण देने के लिए सबसे पहले एक ओबीसी आयोग बनाने की बात कही गई है।

2 ओबीसी आयोग पिछड़े वर्ग के आर्थिक, सामाजिक स्थिति का आकलन करेगा ।

3 आयोग अपनी रिपोर्ट चुनाव आयोग को देखा। यदि आयोग को सही लगता हैं तो वो उसे राज्य सरकार को रिकमंड करेगा।

 

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क्या है आख़िर गवली केस
दरअसल महाराष्ट्र में निकाय चुनाव में भी ओबीसी को 27% आरक्षण दिया गया था जिसे कोर्ट में चैलेंज कर दिया था जिस पर सुनवाई करते हुऐ 4 मार्च 2021को सुप्रीम कोर्ट की ट्रिपल बैंच ने कहा था कि, अगर सरकार को लोकल बॉडी इलेक्शन में ओबीसी को आरक्षण देना है तो उसे ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया अपनानी होगी।

एमपी पंचायत चुनाव में कहां फंसा पेच 
पंचायत आरक्षण के रोटेशन प्रणाली को न अपनाए जाने के चलते लेकर पेंच फंस गया. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने मप्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि ट्रिपल टेस्ट का पालन किए बिना पंचायत चुनाव में आरक्षण के फैसले को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया सकता. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से कहा कि कानून के दायरे में ही रहकर ही चुनाव करवाए जाएं. हालांकि, सरकार को ट्रिपल टेस्ट के तहत ओबीसी के लोगों की गिनती करनी होगी. ये करने में सरकार को चार महीने का समय लग सकता है.

इधर पंचायत चुनाव में खर्च की सीमा तय करने जबलपुर हाईकोर्ट में लगाई याचिका

इधर पंचायत चुनाव में खर्च की सीमा तय करने उपभोक्ता मार्ग दर्शक मंच ने जबलपुर हाईकोर्ट ( Jabalpur High Court)  में याचिका लगाई है। उपभोक्ता मार्ग दर्शक मंच (upabhokta maarg darshak manch)  ने पंचायत चुनाव में भी खर्च की सीमा लिमिट करने की मांग की है। विधनसभा, मेयर ओर पार्षदों की तरह लिमिट लगाने की मांग की गई है। उपभोक्ता मार्ग दर्शक मंच ने कहा कि पंच, सरपंच, जनपद पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्यों में खर्च सीमा तय की जाए।

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